प्रवासी पक्षियों के कलरव से सिलीगुड़ी के झील, कैनाल, बांध हुए गुलजार
जाड़े का मौसम शुरू होते ही सिलीगुड़ी के आसपास के इलाकों में स्थित बांध, झील व कैनाल में प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो गया है। इनके कलरव इलाका गुलजार हो गया है।
By Rajesh PatelEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 12:25 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 12:25 PM (IST)
सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। जाड़े की आहट के साथ ही पूर्वोत्तर भारत का प्रवेशद्वार कहे जाने वाले सिलीगुड़ी के पास गाजलडोबा डैम सहित अन्य झील व कैनाल प्रवासी पक्षियों के कलरव से गुलजार हो चुके हैं। अभी इनके आने का सिलसिला जारी है। पर्यटकों व स्थानीय लोगों में इनके आने से काफी खुशी है। वन विभाग ने इनकी सुरक्षा के लिए भी पुख्ता बंदोबस्त किए हैं।
प्रत्येक वर्ष सर्दी के मौसम में साइबेरिया व मध्य एशिया से विभिन्न प्रजाति के पक्षी सिलीगुड़ी से सटे फूलबाड़ी स्थित महानंदा बैरेज, जलपाईगुड़ी के गाजलडोबा स्थित तीस्ता बैराज व बैकुंठपुर जंगल के विभिन्न हिस्सों में पहुंचते हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रतिवर्ष 60 से अधिक प्रजाति के 4500 से अधिक प्रवासी पक्षी सिलीगुड़ी व आसपास के इलाके में आते हैं। इनमें नॉदर्न लेपविंग, रेप्टॉर, रूडीसेल डक, पार्सेल डक, रेड ब्रेस्टेड गूस आदि उल्लेखनीय हैं।
सर्दी का मौसम समाप्त होते ही फरवरी से मार्च तक सभी प्रवासी पक्षी वापस चले जाते हैं। सर्दी के दिनों में प्रवासी पक्षियों के सहवास से यहां उनकी प्रजाति का विस्तार भी होता है, लेकिन पर्यावरण प्रेमियों का दावा है कि प्रवासी पक्षियों का आगमन कम हो गया है। इसका प्रमुख कारण इनमें असुरक्षा की भावना तथा प्रदूषण है। हालांकि इस बार वन विभाग ने इनकी सुरक्षा के लिए पहले से तैयारी कर रखी है। बैकुंठपुर वन डिवीजन ने विशेष अभियान शुरू किया है। गत माह ही उत्तर बंगाल स्पेशल टास्क फोर्स के प्रमुख तथा स्थानीय रेंजर संजय दत्त ने सिलीगुड़ी से सटे फूलबाड़ी स्थित महानंदा बैराज इलाके में जागरूकता अभियान चलाया। प्रवासी पक्षियों को मारने तथा उन्हें परेशान करनेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी। स्थानीय जनप्रतिनिधियों, पंचायत प्रधान, जिला परिषद सदस्य व आम लोगों से भी इनकी सुरक्षा पर ध्यान देने की अपील की।
प्रत्येक वर्ष सर्दी के मौसम में साइबेरिया व मध्य एशिया से विभिन्न प्रजाति के पक्षी सिलीगुड़ी से सटे फूलबाड़ी स्थित महानंदा बैरेज, जलपाईगुड़ी के गाजलडोबा स्थित तीस्ता बैराज व बैकुंठपुर जंगल के विभिन्न हिस्सों में पहुंचते हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रतिवर्ष 60 से अधिक प्रजाति के 4500 से अधिक प्रवासी पक्षी सिलीगुड़ी व आसपास के इलाके में आते हैं। इनमें नॉदर्न लेपविंग, रेप्टॉर, रूडीसेल डक, पार्सेल डक, रेड ब्रेस्टेड गूस आदि उल्लेखनीय हैं।
सर्दी का मौसम समाप्त होते ही फरवरी से मार्च तक सभी प्रवासी पक्षी वापस चले जाते हैं। सर्दी के दिनों में प्रवासी पक्षियों के सहवास से यहां उनकी प्रजाति का विस्तार भी होता है, लेकिन पर्यावरण प्रेमियों का दावा है कि प्रवासी पक्षियों का आगमन कम हो गया है। इसका प्रमुख कारण इनमें असुरक्षा की भावना तथा प्रदूषण है। हालांकि इस बार वन विभाग ने इनकी सुरक्षा के लिए पहले से तैयारी कर रखी है। बैकुंठपुर वन डिवीजन ने विशेष अभियान शुरू किया है। गत माह ही उत्तर बंगाल स्पेशल टास्क फोर्स के प्रमुख तथा स्थानीय रेंजर संजय दत्त ने सिलीगुड़ी से सटे फूलबाड़ी स्थित महानंदा बैराज इलाके में जागरूकता अभियान चलाया। प्रवासी पक्षियों को मारने तथा उन्हें परेशान करनेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी। स्थानीय जनप्रतिनिधियों, पंचायत प्रधान, जिला परिषद सदस्य व आम लोगों से भी इनकी सुरक्षा पर ध्यान देने की अपील की।
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