पेयजल संकट : जाप ने नपा पर बोला हमला
संवाद सूत्र, कालिम्पोंग : शहर में पेयजल संकट के मुद्दे को लेकर जन आंदोलन पार्टी (जाप) ने नपा पर ह
संवाद सूत्र, कालिम्पोंग : शहर में पेयजल संकट के मुद्दे को लेकर जन आंदोलन पार्टी (जाप) ने नपा पर हमला बोल दिया है। नपा द्वारा पेयजल के मुद्दे पर मंगलवार को आहूत बैठक के बाद किल्लत के लिए टैपिंग को जिम्मेदार ठहराए जाने की कड़ी आलोचना करते हुए शहर समिति के अध्यक्ष प्रदीप छेत्री ने बुधवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर विभागीय उदासीनता पर असंतोष व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि टैपिंग ही पानी के संकट की जड़ में है, तो विभाग को जांच करानी चाहिए। जहां टैपिंग की गई है, वहां के कर्मचारी क्या कर रहे हैं। राज्य सरकार ने अवैध टैपिंग रोकने के लिए इनरुट विलेज स्कीम शुरू की थी। छेत्री ने कहा कि नेउरा परियोजना के लिए तैयार स्कीम कहां-कहां लागू की गई है और क्या स्थिति है, यह विभाग को बताना चाहिए। आम नागरिक टैपिंग नहीं कर सकते। इसमें निश्चित तौर पर विभागीय कर्मचारी, अधिकारी संलग्न हैं। उन्होंने कहा कि विभाग को अवैध टैपिंग की जांच कर ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। शहर में पानी की समस्या दिन-ब-दिन जटिल होती जा रही है। जाप के समर्थक काफी समय पूर्व से ही इस समस्या के प्रति नपा एवं विभागों का ध्यान आकृष्ट कराते आ रहे थे, लेकिन किसी ने भी इसके निराकरण को पहल नहीं की। छेत्री ने कहा कि क्षेत्रीय प्रशासन का दायित्व लेकर बैठे नपा के उपाध्यक्ष जायन लेप्चा ने पेयजल आपूर्ति का दायित्व नपा नहीं, पीएचई का है, कहकर पल्ला झाड़ा था। विधानसभा चुनाव के समय नपा ने पानी की आपूर्ति खरीदारी कर की। जब पेयजल आपूर्ति का दायित्व नपा का है ही नहीं, तो आज बैठक क्यों कर रहे हैं। उन्होंने नपा पर शहरवासियों की आंख में धूल झोंकने के प्रयास का आरोप लगाते हुए कहा कि पेयजल समस्या के निराकरण को बैठक की गई, लेकिन इसके लिए टैपिंग एवं जल स्रोत सूखने का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की गई। नपा अध्यक्ष गंगा माया गुरुंग की अनुपस्थिति भी यह बताने को काफी है कि नपा प्रशासन इस संकट पर किस कदर गंभीर है। जाप नेता ने नपा अध्यक्षा अपने दायित्व से मुंह मोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने में विफल हैं, तो इस्तीफा दे दें। मोर्चा महकमा समिति के सचिव कुमार चामलिंग द्वारा इसे 108 वर्ष पुरानी समस्या बताते हुए मोर्चा को दोषी न ठहराए जाने संबंधी बयान की आलोचना करते उन्होंने कहा कि गोरखालैंड भी वर्षो पुरानी समस्या है, फिर वे उसे क्यों उठाते हैं।