वजनदार मरीज बना परेशानी का सबब
-कैसे होगा इलाज, फैसला आज, मेडिकल बोर्ड गठित -बेड पर लिटाया तो टूटने का डर, स्कैन मशीन से भी गुजार
-कैसे होगा इलाज, फैसला आज, मेडिकल बोर्ड गठित
-बेड पर लिटाया तो टूटने का डर, स्कैन मशीन से भी गुजार पाना संभव नहीं
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :
नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एनबीएमसीएच) में इन दिनों एक वजनदार मरीज कौतुहल व परेशानी का सबब बना हुआ है। वह मरीज कोई मंत्री, नेता या अफसर नहीं बल्कि 268 किलोग्राम का होने के चलते वजनदार है। अलीपुरद्वार जिले के पलाशबाड़ी गांव का रहने वाला 43 वर्षीय विनय दत्त चौधरी बीते पांच अप्रैल से एनबीएमसीएच में भर्ती है। उसे सीने में दर्द की शिकायत है। उठना-बैठना तो दूर करवट तक बदल पाने में सक्षम नहीं है।
इस बारे में एनबीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. सव्यसाची दास का कहना है कि उक्त मरीज बहुत सारी समस्याओं से पीड़ित है, जिसका सटीक आकलन आवश्यक जांच के उपरांत ही किया जा सकता है। वैसे प्राथमिक तौर पर वह 'कुसिंग सिंड्रोम' से ग्रसित नजर आता है जिसमें व्यक्ति का शाीरिक भार अनियंत्रित रूप से बढ़ता जाता है। इतना कि व्यक्ति स्वयं ही स्वयं के लिए बोझ बन जाता है।
उन्होंने कहा कि उक्त व्यक्ति का वजन इतना अधिक है कि उसे बेड पर भी नहीं रखा जा सकता क्योंकि एनबीएमसीएच में उपलब्ध बेड की भार क्षमता 120 किलोग्राम तक ही है जबकि उक्त मरीज का वजन 268 किलोग्राम है। इसलिए उसे जमीन पर ही बिस्तर पर रखा गया है। इसके अलावा सबसे अहम समस्या यह है कि उसके शरीर का भार इतना है कि उसे सिटी स्कैन, एमआरआई आदि मशीनों से गुजार पाना भी मुश्किल है। ऐसे में उसके रोग का सटीक आकलन दुश्वार है।
उन्होंने बताया कि उक्त मरीज के आवश्यक इलाज हेतु चार सदस्यीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है। बोर्ड में पैथोलोजी, मेडिसिन, बायो केमिस्ट्रिी व चेस्ट विभाग से एक-एक डॉक्टर सदस्य शामिल हैं। ये बोर्ड सोमवार को सभी प्रकार से जांच-पड़ताल कर यह फैसला लेंगे अब कैसे इस मरीज का इलाज किया जा सकता है। वैसे जरूरत पड़ी तो उक्त मरीज को कोलकाता भी स्थानांतरित किया जा सकता है।
उक्त मरीज की बहन अनिंदिता दत्त चौधरी ने बताया कि उनका भाई चपन से ही असामान्य रूप से बढ़ रहा है। उसके शरीर की लंबाई-चौड़ाई एवं वजन के अनुरूप व खाता-पीता भी बहुत है। हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति भी उतनी ठीक नहीं है जो उसके खान-पान समेत आवश्यक इलाज को वहन कर सकें। इसीलिए अब थक-हार कर हम एनबीएमसीएच आए हैं। अब देखिए न जाने क्या होता है। इधर एनबीएमसीएच में इस मरीज को लेकर कौतुहल भी बहुत है कि इससे पहले ऐसे मरीज के यहां आने का कोई इतिहास नहीं है।