कम उम्र में मीनोपॉज के बावजूद मां बनी युवती
सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता : कम उम्र में मीनोपॉज (रजोनिवृत्ति व मासिक धर्म के बंद हो जाना) की समस्या से पीड़ित एक युवती को डॉक्टरों कुशलता के चलते मां बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
डॉक्टरों ने इसे अत्यंत ही विरल मामला माना है, क्योंकि सामान्यत: तौर पर इतनी कम उम्र में 'मीनोपॉज' नहीं होता। इस मामले में एक और समस्या यह थी कि मात्र 34 वर्षीय यह युवती मीनोपॉज के साथ ही टीबी (क्षय रोग) से भी पीड़ित थी। अब उसने बीते तीन जनवरी को शहर के एक नर्सिग होम में 2.4 किलोग्राम वजन की एक स्वस्थ्य कन्या संतान को जन्म दिया। इस कमाल से विवाहिता समेत पूरे परिवार में खुशी की लहर है।
शिवमंदिर स्थित ए.एच.आइवीएफ इंफर्टिलिटी रिसर्च सेंटर ने यह कमाल कर दिखाया है। शनिवार को सेंटर की निदेशक व प्रख्यात आइवीएफ इंफर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. जया भट्टाचार्या ने पत्रकारों को बताया कि यह बड़ा ही विरल होता है कि कोई महिला मात्र 34 वर्ष की उम्र में ही 'मिनोपॉज' से पीड़ित हो जाए। आम तौर पर महिलाओं को 40-42 वर्ष की आयु के बाद ही 'मिनोपॉज' होता है। मगर, यह मामला विरल था। 'मिनोपॉज' के चलते उक्त विवाहिता मातृत्व सुख प्राप्त करने में सक्षम नहीं थी। अत: एक अन्य दानदाता महिला के अंडाणु व उक्त विवाहिता के पति के शुाक्राणु को टेस्ट ट्यूब पद्धति से निषेचित कर उसका भ्रूण तैयार किया गया और उस उसे उक्त महिला के गर्भ में प्रतिस्थापित कर दिया गया। गर्भ भलीभांति विकसित हुआ और विवाहिता ने संतान सुख प्राप्त किया। उल्लेखनीय है कि उक्त विवाहिता बीते 12 वर्षो से जगह-जगह इलाज कराकर थक हार चुकी थी।
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