फ्लाई एश ईंट के प्रति प्रशासन भी गंभीर नहीं
आसनसोल: पर्यावरण मित्र कहलाने वाले फ्लाई एश ईंटों की उपयोगिता के प्रति शिल्पांचल में दिन-प्रतिदिन बढ
आसनसोल: पर्यावरण मित्र कहलाने वाले फ्लाई एश ईंटों की उपयोगिता के प्रति शिल्पांचल में दिन-प्रतिदिन बढ़ती उदासीनता से इस उद्योग का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। सरकार से सहयोग नहीं मिलने से अधिकांश फ्लाई एश ईंट उद्योग बंद होने के कगार पर है। हालांकि पिछले दिनों जिला प्रशासन ने फ्लाई एश ईंटों की उपयोगिता को लेकर सक्रियता दिखाई थी। इससे आशा की किरण जगी थी लेकिन धरातल पर कोई ठोस प्रयास न होते देखकर फ्लाई एश ईंट उत्पादकों का कहना है कि अगर यहीं हाल रहा तो शिल्पांचल में फ्लाई एश ईंट इतिहास बन जाएगा।
मालूम हो कि पिछले माह पश्चिम वर्द्धमान के डीएम व आसनसोल के एसडीओ ने ईंट उत्पादकों से अलग- अलग बैठक कर फ्लाई एश ईंट उत्पादकों की समस्याएं सुनी थी। फ्लाई एश ईंटों की उपयोगिता को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर भी चर्चा हुई और कहा गया कि फ्लाई एश ईंटों की उपयोगिता को बढ़ावा दिया जाएगा। सरकारी कार्यों में इसकी अनिवार्यता की पहल का आश्वासन भी मिला लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। फ्लाई एश ब्रिक्स एंड ब्लाक मैनुफैक्च¨रग एसोसिएशन से जुड़े अशोक मिश्रा ने कहा कि यहां 100 किमी के क्षेत्र में अंडाल थर्मल पावर, दुर्गापुर थर्मल पावर, मेजिया थर्मल पावर, रघुनाथ पुर थर्मल पावर, डिसरगढ़ थर्मल पावर व मैथन पावर लिमिटेड स्थापित है। बावजूद इसके लाल ईंटों की उत्पादन इकाईयों पर न तो अंकुश लग रहा है और न ही फ्लाई एश ईंटों के उपयोग को बढावा देने का प्रयास हो रहा है। यहां तक कि नेशनल हाइवे संख्या दो का चौड़ीकरण कार्य हो रहा है। इसमें भी लाल ईंट का उपयोग हो रहा है। श्री मिश्रा ने कहा कि प्रशासन की सकारात्मक पहल से ही फ्लाई एश ईंट कारोबार बच पाएगा।