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वकीलों के आंदोलन में राजनीतिक दलों का साथ

दुर्गापुर : दुर्गापुर कोर्ट से कांकसा व बुदबुद थाना को हटाकर व‌र्द्धमान ले जाने की साजिश के खिलाफ द

By Edited By: Published: Fri, 20 Jan 2017 11:50 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jan 2017 11:50 PM (IST)
वकीलों के आंदोलन में राजनीतिक दलों का साथ

दुर्गापुर : दुर्गापुर कोर्ट से कांकसा व बुदबुद थाना को हटाकर व‌र्द्धमान ले जाने की साजिश के खिलाफ दुर्गापुर बार एसोसिएशन की ओर से वकीलों का आंदोलन कई दिनों से जारी है। अब यह आंदोलन धीरे-धीरे तीव्र होता जा रहा है। जिसका नजारा शुक्रवार को बार एसोसिएशन के गण कन्वेशन में देखने को मिला। जहां माकपा, कांग्रेस के विधायक के अलावा तृकां के मेयर एवं कई पार्षद भी पहुंचे। यहां तक की तृकां के एक मेयर परिषद सदस्य ने मंच पर अपना वक्तव्य भी दिया।

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बार एसोसिएशन की ओर से सभा को लेकर सभी राजनीतिक दलों को सूचना दी गई थी एवं आंदोलन में शरीक होने को कहा गया था। बार एसोसिएशन के इस आंदोलन में माकपा के विधायक संतोष देवराय, रानीगंज के विधायक रूनु दत्ता के साथ कांग्रेस के विधायक विश्वनाथ पड़ियाल भी पहुंचे। उन

लोगों ने जहां मंच को साझा किया एवं वक्तव्य भी रखा। वहीं तृकां के मेयर अपूर्व मुखर्जी के अलावा मेयर परिषद सदस्य प्रभात चटर्जी, लवली राय, मोनीदास गुप्ता, प्रमोद सरकार के अलावा पार्षद राखी तिवारी, पल्लव नाग समेत कई पार्षद पहुंचे। जहां केवल प्रमोद सरकार ने अपना वक्तव्य रखा एवं कहा कि दुर्गापुर को संकुच किया जा रहा है। कांकसा व बुदबुद को दुर्गापुर से अलग करने के खिलाफ मैं भी हूं। जबकि माकपा विधायक संतोष देवराय ने कहा कि दुर्गापुर मिनी भारत के रूप में जाना जाता है। दुर्गापुर को बचाने को लेकर लड़ाई में हम सब वकीलों के साथ है। दुर्गापुर की रक्षा के लिए मैने मुख्यमंत्री को पत्र दिया था। इस आंदोलन को और तेज करना होगा। वहीं कांग्रेस के विधायक विश्वनाथ पड़ियाल ने कहा कि विधायक के पहले मैं शहर का नागरिक हूं एवं शहर की रक्षा के लिए हर आंदोलन के साथ हूं। यह आंदोलन केवल बार एसोसिएशन का नहीं है, बल्कि दुर्गापुर के हर नागरिक का है। यह अच्छी बात है कि सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि इस आंदोलन में साथ आएं है। भांगड़ की घटना के बाद मुख्यमंत्री ने योजना बंद करने की बात कही है। ऐसे में दुर्गापुर के लोगों को देखते हुए दुर्गापुर कोर्ट से कांकसा व बुदबुद के हटाने की योजना भी वापस लेना चाहिए। इस निर्णय पर एक बार फिर से विचार करना चाहिए। हालांकि मेयर अपूर्व मुखर्जी ने इस विषय में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। मौके पर देवीदास बनर्जी, अनुपम मुखर्जी, बलराम ¨सह के अलावा कई वकील मौजूद थे।


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