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प्रदूषण के खिलाफ ग्रामीणों का प्रदर्शन

संवाद सहयोगी, जामुडि़या : जामुडि़या औद्योगिक क्षेत्र के हिजलगोड़ा मोड़ के निकट स्थित श्याम सेल फैक्ट्र

By Edited By: Published: Sat, 13 Feb 2016 01:02 AM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2016 01:02 AM (IST)
प्रदूषण के खिलाफ ग्रामीणों का प्रदर्शन

संवाद सहयोगी, जामुडि़या : जामुडि़या औद्योगिक क्षेत्र के हिजलगोड़ा मोड़ के निकट स्थित श्याम सेल फैक्ट्री में शुक्रवार की सुबह स्थानीय ग्रामीणों द्वारा गेट जाम कर विरोध प्रदर्शन किया गया। ध्वनि एवं वायु प्रदूषण के खिलाफ ग्रामीणों ने प्रदर्शन करते हुए करीब डेढ़ घंटा तक गेट जाम रखा। वहीं तृणमूल कांग्रेस नेता सुकुमार भट्टाचार्य ने मौके पर पहुंचकर 15 दिन के अंदर समस्या का समाधान कराने का आश्वासन देने के बाद ग्रामीणों द्वारा प्रदर्शन समाप्त किया गया। प्रदर्शन व गेट जाम के दौरान ग्रामीण मिथुन बाउरी, वरुण राय, सुनील घोष, अभिजीत चक्रवर्ती, अप्पू मुखर्जी, सोमनाथ मिश्र, बापि बागदी, अनूप बाउरी आदि उपस्थित थे। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि हर रोज रात में श्याम सेल फैक्ट्री द्वारा बड़े पैमाने पर ध्वनि व वायु प्रदूषण फैलाया जा रहा है। प्रदूषण के कारण आसपास के गांव के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। इस विषय पर कई बार फैक्ट्री प्रबंधन को सूचित करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं करने से बाध्य होकर विरोध प्रदर्शन किया गया।

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प्रदूषण फैलाने के बावजूद लाल ईटा पर रोक नहीं

जासं, आसनसोल : पर्यावरण संरक्षण व आसनसोल अंचल के सुंदरीकरण के लिए क्लीन आसनसोल-ग्रीन आसनसोल जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना के अलावा भी सरकार लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रही है ताकि प्रदूषण से मुक्ति मिले और लोगों को स्वच्छ वातावरण में सांस लेने का मौका मिले। लेकिन आश्चर्य की बात है कि न्यायालय के आदेश के बावजूद इन्हीं इलाकों में प्रदूषण फैलानेवाले लाल ईट के भट्ठा बेखौफ संचालित हो रहे हैं। वर्तमान में आसनसोल समेत पूरे दक्षिण बंगाल में एक-दो नहीं बल्कि हजारों की संख्या में लाल ईट का भट्ठा है। लाल ईट के विकल्प के तौर पर बाजार में पर्यावरण के अनुकूल फ्लाइ एश ईट कारखानों की भरमार है। आसनसोल समेत पूरे दक्षिण बंगाल में फ्लाइ एश ब्रिकी की करीब डेढ़ सौ से अधिक इकाई है, जिसमें प्रतिदिन बीस लाख से अधिक ईट का उत्पादन संभव है। बावजूद इसके फ्लाई एश ईट की अधिकांश इकाइयों में इन दिनों उत्पादन क्षमता के अनुरुप नहीं हो रहा है। क्योंकि प्रदूषण फैलाने के बावजूद लाल ईट के उत्पादन पर रोक नहीं लग रही है। यहां तक कि सरकारी निर्माण कार्य में भी प्रदूषण फैलानेवाले लाल ईट का ही धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। हालांकि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए प्लास्टिक पर पाबंदी लगाने की इन दिनों काफी सख्ती बरती जा रही है। जरूरत है कि ऐसी ही सख्ती लाल ईट बनानेवाले के विरोध में भी हो। तभी शिल्पांचल के लोग स्वच्छ वातावरण में सांस ले सकेंगे। फ्लाई एश ब्रिक्स एंड ब्लॉक मैन्युफैक्च¨रग एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष तांतिया ने कहा कि माननीय न्यायालय ने स्पष्ट कह दिया है कि थर्मल पावर स्टेशन के आसपास 100 किमी के दायरे में लाल ईट का भट्ठा नहीं रहेगा। वे लोग भी चाहते हैं कि इलाका प्रदूषण से मुक्त हो। क्लीन आसनसोल-ग्रीन आसनसोल सिर्फ कुछ लोगों के लिए नहीं बल्कि यहां रहनेवाले और यहां आनेवाले बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर व्यक्ति के जीवन का प्रश्न है। इसे सफल बनाने के लिए प्रशासन को सख्ती बरतनी ही होगी।


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