त्रिभुवन हत्याकांड : पार्किग का गार्ड भी बनेगा गवाह!
जागरण संवाददाता, दुर्गापुर : शहर के व्यवसायी त्रिभुवन हत्याकांड का खुलासा पुलिस ने कर दिया है एवं हत
जागरण संवाददाता, दुर्गापुर : शहर के व्यवसायी त्रिभुवन हत्याकांड का खुलासा पुलिस ने कर दिया है एवं हत्या का मुख्य आरोपी सुनील कुमार यादव ने भी हत्या करवाने की बात पुलिस के पूछताछ में कबूल कर लिया है। अब पुलिस हत्या में शामिल तीन लोगों को गिरफ्तार करने के फिराक में है। साथ ही हत्याकांड के लिए गवाह भी जुटाने की तलाश में जुट गई है। ताकि हत्यारे को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके। हत्याकांड में सुनील ने अपने साथ तीन लोगों की मदद लिया था। जिसमें एक बिहार के व्यक्ति के शामिल रहने की बात भी सामने आ रही है। पुलिस जल्द से जल्द तीनों को गिरफ्तार कर हत्याकांड के पूरे रहस्य का उद्भेदन करना चाहती है। आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस के खुफिया विभाग की टीम व पुलिस ने कादा रोड-आमराई रोड स्थित पार्कि ग स्थल में भी दो दिन आकर जांच कर चुकी है, जहां त्रिभुवन को मौत के घाट उतारा गया। वहीं पुलिस ने पार्किग स्थल पर तैनात रहनेवाले गार्ड डाबी ¨सह को भी थाने में ले जाकर लंबी पूछताछ की है। डाबी ने बताया कि पुलिस ने उसके बातचीत को कैमरा में रिकार्ड भी किया है। हालांकि पूछताछ में वह पुलिस को क्या बताया इसकी जानकारी नहीं देगा। हत्या का खुलासा होने के बाद से यह स्पष्ट हो गया है कि सुनील ने काफी सुनियोजित ढंग से त्रिभुवन की हत्या करवाई। जिस दिन से त्रिभुवन गायब हुआ यानि 18 अगस्त की दोपहर तकरीबन एक बजे सुनील कादा रोड-आमराई रोड स्थित अपने किराए के पार्कि ग स्थल पर गया था, जहां डाबी घास काट रहा था। वह उसे अपने साथ मोटरसाइकिल से सिटीसेंटर के जादव परिवार नामक कार्यालय में ले गया, जहां देर संध्या तक डाबी को रखा एवं रात तकरीबन नौ बजे फिर डाबी को मोटरसाइकिल से उसके घर पहुंचा दिया। अनुमान किया जा रहा है कि पहले से योजना के अनुसार पहले सुनील ने वारदात के जगह से गार्ड को हटाया ताकि उसे भी भनक न लगे।
शराब पिलाकर हत्या की वारदात को दिया गया अंजाम : पुलिस सूत्रों के अनुसार सुनील ने काफी सुनियोजित ढंग से हत्या की घटना को अंजाम दिया था। हत्या की भनक किसी को न मिले यही वजह है कि पार्किग स्थल में तैनात गार्ड को दोपहर में एक बजे वह अपने सिटीसेंटर कार्यालय पहुंचा दिया। इस बीच वह हत्या में शामिल मुस्लिम सुपारी किलर समेत दो और लोगों के साथ खुद भी पार्किग स्थल के झोपड़ी में पहुंच गया था। दोपहर तकरीबन तीन बजे उसने त्रिभुवन को फोन कर वहां बुलाया। त्रिभुवन के पहुंचने पर सभी ने शराब पी एवं त्रिभुवन को भी शराब पिलाया। संध्या तकरीबन साढ़े छह बजे तक शराब पीने का दौर चला। उसके बाद पहले त्रिभुवन का गला दबा दिया गया उसके बाद गला को चाकू से काट डाला गया।
माकपा नेता के हत्या में भी शामिल था सुपारी किलर : बताया जाता है कि सुनील ने त्रिभुवन हत्याकांड को अंजाम देने के लिए जिस मुस्लिम सुपारी किलर का उपयोग किया था, वह दुर्गापुर का ही निवासी था। उस पर पहले भी शहर के एक माकपा नेता की हत्या का आरोप लगा था। सुपारी किलर को घटना के पहले सुनील ने एक लाख रुपया दिया था एवं घटना के बाद दो लाख रुपया भी अदा किया था। हत्या के बाद सुनील उसी रात बिहार के लिए निकल गया था। जबकि शव को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी सुपारी किलर को ही दिया था। वे लोग ही हत्या के बाद शव को सेंट्रो कार की डिक्की में रखकर झारखंड की ओर ठिकाने लगाने जा रहे थे। हालांकि कार ने साथ नहीं दिया एवं गाड़ी पंक्चर हो जाने से इतनी जल्दी हत्या की वारदात सामने आ गई।
वारदात के लिए पार्किग स्थल को क्यो चुना : हत्याकांड में पार्किग स्थल के उपयोग की बात पुलिस जांच में सामने आयी है। सुनील ने आखिरकार पार्किग स्थल को ही हत्या की वारदात के लिए क्यों चुना? इसकी जानकारी लेने पर पता चला कि सुनील ने तकरीबन चार माह पहले कादा रोड-आमराई रोड स्थित पार्कि ग स्थल को किराया पर लिया था, जहां ट्रक ठहराव का बिजनेस करने की योजना थी। हालांकि चार माह में वहां कोई ट्रक नहीं पहुंचा। वहां वह इलाके के ही डाबी ¨सह को गार्ड के रूप में तैनात किया था। आमराई रोड में तकरीबन ऐसे एक कतार में आधा दर्जन पार्किग स्थल है। सभी तकरीबन एक-दूसरे से सटे हुए हैं। उसके विपरीत रोड के किनारे बस्ती है। पार्किग स्थल भी कई एकड़ जमीन में फैला हुआ है। पार्किग स्थल के चारों ओर ऊंची-ऊंची दीवार है। जिससे पड़ोस के पार्किग स्थल के लोग भी वहां की गतिविधि को नहीं देख सकते थे, ना ही अंदर से आवाज बाहर बस्ती तक पहुंच सकती थी। पार्किग स्थल में दो झोपड़ीनुमा घर भी है, जहां एक झोपड़ी में हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया।
गार्ड को भी दो माह का वेतन नहीं दिया : सुनील ने पार्किग स्थल के रखरखाव के लिए जिस गार्ड को नियुक्त किया था। उसे भी दो माह से वेतन नहीं दिया था। गार्ड व उसकी पत्नी ने बताया कि 13 सितंबर को काम करते चार माह होनेवाला था। वह प्रत्येक दिन दो सौ रुपया के हिसाब से मुझे काम दिया था। अबतक काम करने का तकरीबन ग्यारह हजार रुपया बकाया है। सुबह आठ बजे से संध्या पांच बजे तक मेरी वहां ड्यूटी थी। बार-बार वेतन मांगने पर बहाने बाजी करता था।