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बंदी के कगार में डीपीएल की कोकोवेन यूनिट

जागरण संवाददाता, दुर्गापुर : कोयला नहीं मिलने के कारण एवं विदेश से सस्ते दर पर हार्ड कोक उपलब्ध होने

By Edited By: Published: Sat, 04 Jul 2015 01:57 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2015 01:57 AM (IST)
बंदी के कगार में डीपीएल की कोकोवेन यूनिट

जागरण संवाददाता, दुर्गापुर : कोयला नहीं मिलने के कारण एवं विदेश से सस्ते दर पर हार्ड कोक उपलब्ध होने के कारण वर्षो पुरानी दुर्गापुर प्रोजेक्ट लिमिटेड (डीपीएल) के हार्ड कोक निर्माण करनेवाली इकाई कोकोवेन यूनिट बंद करने के कगार पर पहुंच गई है। जिससे श्रमिक संगठनों में ¨चता देखने को मिल रही है। सीटू ने कोकोवेन यूनिट को प्रबंधन द्वारा साजिश के तहत पूरी तरह से कूल डाउन करने का आरोप लगाया है। हालांकि तृकां श्रमिक संगठन ने आरोप को गलत बताया है।

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बताया जाता है कि डीपीएल में वर्ष 1959 में कोकोवेन यूनिट तैयार किया गया था। जहां पहले चार बैटरी चलता था। जिससे हार्ड कोक का निर्माण होता था। परन्तु वर्ष 1978 में बाढ़ के कारण 3 एवं चार नंबर बैटरी बंद हो गई थी। उसके बाद पांच नंबर बैटरी को चालू किया गया था। इस तरह कोकोवेन में 1,2 एवं पांच नंबर बैटरी से हार्ड कोक तैयार किया जाता था। कुछ माह पहले एक एवं दो नंबर बैटरी को बंद कर दिया गया एवं मात्र पांच नंबर बैटरी से उत्पादन होता था। हालांकि पिछले कुछ वर्ष से कोकोवेन यूनिट भी नुकसान में चल रही थी। वहीं पर्याप्त मात्रा में कोयला नहीं मिलने से समस्या हो रही थी। अब कोकोवेन यूनिट बंदी के कगार पर पहुंच गई है। सीटू नेता पंकज राय सरकार ने कहा कि प्रबंधन व राज्य सरकार की लापरवाही के कारण लाभ में चलनेवाली इकाई बंदी के कगार पर पहुंची है। प्रबंधन ने साजिश के तहत कूल डाउन किया है। इसका अर्थ है कि उसे बंद करने की योजना है। उन्होंने कहा कि यहां से उत्पादित हार्ड कोक दुर्गापुर इस्पात संयंत्र सहित विभिन्न निजी कारखानों में सप्लाई होता था। वहीं कोल गैस की सप्लाई यहां से एलॉय स्टील प्लांट सहित कई प्लांटों में होती थी। कोल पिच हिमाद्री केमिकल में भेजा जाता था। यूनिट बंद होने से उद्योगों पर भी प्रभाव पड़ेगा। इससे यहां काम करनेवाले 1135 स्थायी एवं 900 अस्थायी श्रमिकों के समक्ष ¨चता भी देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि डीपीएल प्रबंधन मनमानी करते आ रहा है। श्रमिक संगठनों से कोई परामर्श भी नहीं लेता है। वहीं प्लांट को बंद होने से बचाने के लिए सीटू द्वारा आंदोलन करने पर तृकां द्वारा हमला कर दबाने का प्रयास किया गया। दूसरी ओर तृकां श्रमिक संगठन जयंती बनर्जी ने कहा कि यूनिट बंद होने की बात गलत है। हालांकि प्रबंधन से संपर्क नहीं हो सका।


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