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तिब्बत में चीन ने बिछाया सड़कों का जाल, भारतीय सीमा तक तैयार की दूसरी सड़क

तिब्बत में चीन सड़कों का जाल बिछा रहा है, दूसरी ओर बेहद अहम सीमावर्ती क्षेत्र में भारत की तरफ कछुआ चाल से सड़क बन रही है।

By sunil negiEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2015 07:49 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2015 09:22 PM (IST)
तिब्बत में चीन ने बिछाया सड़कों का जाल, भारतीय सीमा तक तैयार की दूसरी सड़क

धारचूला ( पिथौरागढ़)। तिब्बत में चीन सड़कों का जाल बिछा रहा है, दूसरी ओर बेहद अहम सीमावर्ती क्षेत्र में भारत की तरफ कछुआ चाल से सड़क बन रही है। चीन ने पिथौरागढ़ जिले की सीमा से लगे तिब्बती भू-भाग पर लिम्टियाधूरा तक दूसरी सड़क बना कर तैयार कर ली है, जबकि अंतिम भारतीय गांव कुटी से 29 किमी दूर स्थित लिम्टियाधूरा क्षेत्र में भारतीय सीमा पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम तक नहीं हैं।
तिब्बत में चीन ने पूर्व में ही लिपूपास तक सड़क निर्माण कर दिया था। इधर अब लिम्टियाधूरा तक भी सड़क निर्माण हो चुका है। आज से करीब डेढ़ वर्ष पूर्व लिम्टियाधूरा तक चीनी सैनिक घोड़े और खच्चरों से सीमा पर रेकी करते थे। इधर, कुछ दिनों से यहां पर वाहनों से रेकी हो रही है।

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यहां तक कि सड़क निर्माण में चार जेसीबी जुटी हैं। ग्रामीणों के अनुसार इस बार लिम्टियाधूरा में सड़क नजर आ रही है। चीन सीमा पर लिपूपास के अलावा लिम्टियाधूरा तक दूसरी सड़क बनने से सीमा पर रहने वाले ग्रामीण हैरान हैं। इधर भारत में अभी तक चीन सीमा तक बन रही सड़क मुहाने में गर्बाधार से 10 वर्षों में मात्र पांच किमी तक ही बन सकी है।

गर्बाधार से बूंदी तक 27 किमी सड़क निर्माण चुनौती बनी हुई है। अलबत्ता उच्च हिमालयी भू-भाग में गब्र्यांग से कालापानी तक लगभग 20 किमी सड़क तैयार हुई है। गर्बाधार से बूंदी तक सड़क नहीं होने से इसका कोई औचित्य नहीं रह गया है।
कहां है लिम्टियाधूरा
तहसील के व्यास घाटी में 12,300 फुट की ऊंचाई पर स्थित अंतिम भारतीय गांव कुटी से लिम्टियाधूरा की दूरी 29 किमी है। सीमा पर यह लिपूलेख के समानांतर है। लिपूलेख पूर्व में तथा लिम्टियाधूरा पश्चिम में है। दोनों के बीच स्पान यानि हवाई दूरी मात्र दो किमी और धरातलीय दूरी लगभग 15 किमी है। लिपूलेख और लिम्टियाधूरा की ऊंचाई भी समान है। कुटी से जौलिंगकोंग 19 किमी, जौलिंगकोंग से सात किमी दूर बिलज्या और बिलज्या से लिम्टियाधूरा की दूरी तीन किमी है। भारत-चीन युद्ध 1962 से पूर्व इस दर्रे से भारत-तिब्बत व्यापार होता था। जौलिंगकोंग से कुटी के बीच निखुर्च मंडी थी, जिसके अब मात्र अवशेष भर शेष हैं।
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