सोमवती अमावस्या पर हरिद्वार में लाखों ने लगाई आस्था की डुबकी
अर्द्धकुंभ के दूसरे स्नान पर्व सोमवती व मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने तड़के से ही मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। इस मौके पर हरिद्वार में हरकी पैड़ी समेत सभी गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है।
हरिद्वार। अर्द्धकुंभ के दूसरे स्नान पर्व सोमवती व मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने तड़के से ही मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। इस मौके पर हरिद्वार में हरकी पैड़ी समेत सभी गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है।
सुबह से ही हरकी पैड़ी सहित अन्य गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने डुबकी लगानी शुरू कर दी थी। भोर होने के साथ ही श्रद्धालुओं की संख्या हरकी पैड़ी पर अधिक होने लगी।
गंगाद्वार की हृदय स्थली हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा तटों पर स्नानार्थियों ने गंगा स्नान किया। सुबह के समय हकती पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर अपेक्षाकृत भीड़ कम होने से श्रद्धालुओं को ब्रह्मकुंड पर डुबकी लगाने का पूरा मौका मिला।
स्नान के उपरांत श्रद्धालुओं ने भास्कर देवता को जल अर्पित कर सुख समृद्धि की कामना की। स्नान करने के बाद श्रद्धालुओ ने गंगा तटों पर दान आदि किया। पितरों के निमित्त कर्मकांड भी कराए।
सामान्य दिनों की अपेक्षा हरकी पैड़ी क्षेत्र में खासी चहल-पहल रही। पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद रही। मेला स्नान पर्व को सकुशल संपन्न कराने के लिए बम निरोधक दस्ता, डॉग स्क्वायड सहित एटीएस की टीम हरकी पौड़ी पर समय-समय पर यात्रियों के सामान, कूड़ेदान, कार आदि की तलाशी लेती रही।
हरिद्वार पर छाए आतंकी साए के चलते हर छोर पर पुलिसबल तैनात किया गया है। सीसीटीवी कैमरों से संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है। अलसुबह ही मेला आईजी जीएस मर्तोलिया ने हरकी पैड़ी का निरीक्षण कर व्यवस्थाओ का जायजा लिया।
ऋषिकेश में भी आस्था का सैलाब
अर्द्धकुंभ के प्रमुख स्नान सोमवती अमावस के मौके पर त्रिवेणी घाट सहित आस-पास क्षेत्रों में सुबह तड़के से ही श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। इस दौरान विभिन्न संस्थाओं की ओर से सर्दी से बचने के लिए अलाव की अलग से व्यवस्था की गई।
अमावस्या का महत्व
अखिल भारतीय युवा तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष उज्ज्वल पंडित ने बताया कि वैसे तो अमावस्या प्रत्येक मास में पड़ती है, लेकिन माघ मास की अमावस्या का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि ब्रहमा जी ने इसी दिन मनु और सतरूपा को उत्पन्न कर सृष्टि का निर्माण कार्य आरम्भ किया था।
उन्होंने बताया की माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या, मौनी अमावस्या के नाम से प्रसिद्ध है। इस पवित्र तिथि को मौन या चुपकर रहकर अथवा मुनियों के समान आचरण पूर्वक स्नान-दान करने का विशेष महत्व है।
इसी कारण इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। मौनी अमावस्या के दिन सोमवार का योग होने से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। अमावस्या इस मास का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है।
पुराणों में मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी स्नान की जो महिमा वर्णित की गई है, वह स्वर्ग एंव मोक्ष को देने वाली है। स्नान के साथ ही पुराणों में त्रिवेणी तट पर दान की अपार महिमा वर्णित है।
दान का महत्व
दक्षिण काली मंदिर पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी के अनुसार आठ फरवरी सूर्योदय से दोपहर 2:22 तक सोमवती अमावस्या+श्रवण नक्षत्र+ व्यतिपात योग के मिश्रण से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया। इसमें जप-ध्यान करने से कोटि (करोड़) सूर्य ग्रहण जितना फल होता है। इस दिन दान का महत्व भी बढ़ जाता है।
स्नान का महत्व
सोमवती अमावस्या के पर्व में स्नान-दान का बड़ा महत्त्व है। इस दिन भी मौन रहकर स्नान करने से हजार गौदान का फल होता है। इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन तथा उनकी 108 प्रदक्षिणा करने का विधान है। ऐसा करने से संतान चिरंजीवी होती है। इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है। सोमवती अमावस्या सूर्योदय से रात्रि 8.10 तक है।
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