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योजनाएं दम तोड़ रही हैं

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने की योजनाएं दम तोड़ रही हैं। उत्तरकाशी मे

By Edited By: Published: Thu, 02 Oct 2014 03:23 AM (IST)Updated: Wed, 01 Oct 2014 07:26 PM (IST)
योजनाएं दम तोड़ रही हैं

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने की योजनाएं दम तोड़ रही हैं। उत्तरकाशी में पर्यटन गांवों के हालात बदतर हो चुके हैं। दावों और वादों की लंबी फेहरिस्त गिनाने वाले सूबे के पर्यटन मंत्री भी इन गांवों की सुध लेने इधर का नहीं रुख किया। ऐसे में टूरिज्म विलेज और होम स्टे की योजनाएं सिर्फ साइन बोर्डो और पर्यटन विभाग के पोस्टरों में सिमट कर रह गई है।

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पर्यटन की अपार संभावनाएं समेटे जिले में राज्य बनने के बाद पर्यटन विकास की उम्मीदें जगी थी। शुरुआत में इस दिशा में कुछ काम भी हुए, लेकिन लगातार निगरानी न होने व पर्यटन विकास के नाम पर बनी अव्यवहारिक योजनाओं ने उम्मीदों को हताशा में बदल दिया। पर्यटन गांव एक ऐसी ही योजना है, इसके तहत जिले के भटवाड़ी ब्लॉक में रैथल, बार्सू व अगोड़ा के साथ ही मोरी ब्लॉक में खरसाली, सौड़, सांकरी व मोताड़ गांव को पर्यटक गांव घोषित किया गया था। योजना के तहत इन गांवों में पर्यटकों के लिए बुनियादी सुविधाएं विकसित करने की योजना थी। इनमें शौचालय, पर्यटक सूचना केंद्र व विद्युत व पेयजल व्यवस्था शामिल थी। इसके अलावा स्थानीय लोगों के लिये कंप्यूटर व अंग्रेजी भाषा ज्ञान का इंतजाम भी किया जाना था। इन गांवों में घरों में होम स्टे की योजना के तहत पर्यटकों को ठहराया जाना था। विभाग की ओर से इन गांवों में दो से पांच करोड़ रुपये खर्च कर सिर्फ ढांचे खड़े किए। पर्यटन की गतिविधियों व पर्यटकों को इन गांवों की ओर खींचने की कोई भी कोशिश नहीं की गई। जिसके चलते जल्द ही गांवों में तैयार किये गये इंतजाम ध्वस्त हो गए। अगोड़ा व सांकरी जैसे गांवों में कुछ समय के लिये पर्यटक पहुंचे भी पर बीते दो सालों से हालात और बदतर हो गये। इन गांवों की ओर ना तो अब पर्यटकों का रुख हो रहा है और सरकार की उदासीनता के चलते इन गांवों के युवा भी पर्यटन व्यवसाय से मुंह मोड़ रहे हैं।

ठोस मॉडल नहीं बन सका

जनपद के गांवों में पर्यटन विकास के लिए व‌र्ल्ड बैंक सहित अन्य बाहरी एजेंसिया भी मदद को आगे आ चुकी हैं, लेकिन जिले से इसका कोई ठोस मॉडल प्रस्तुत नहीं किया जा सका। इसके चलते यह उम्मीद भी टूट गई। दयारा बुग्याल रोपवे प्रोजेक्ट इसका एक बड़ा उदाहरण है। इस रोपवे के न बनने से पर्यटन गांव रैथल व बार्सू में किए भारी भरकम निर्माण सफेद हाथी साबित हो रहे हैं।

'पर्यटन गांवों के लोगों को सरकार की योजना में जनसहभागिता के लिए प्रेरित करने की कोशिशें की जा रही हैं, शुरुआत में कुछ गांवों की स्थिति काफी बेहतर थी, किंतु कुछ समय से इस योजना पर ज्यादा काम नहीं हो सका है।

केएस नेगी, प्रभारी पर्यटन अधिकारी, उत्तरकाशी


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