नेलांग घाटी की खूबसूरती से अभिभूत पर्यटक
उत्तरकाशी खूबसूरती में नेलांग घाटी लद्दाख से किसी मायने में कम नहीं। तभी तो घाटी की सैर कर लौटे पर्यटक नेलांग की खूबसूरती से अभिभूत हैं।
उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: उत्तरकाशी खूबसूरती में नेलांग घाटी लद्दाख से किसी मायने में कम नहीं। तभी तो घाटी की सैर कर लौटे पर्यटक नेलांग की खूबसूरती से अभिभूत हैं। पर्यटन दिवस पर होटल एसोसिएशन एवं पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित नेलांग भ्रमण कार्यक्रम में शामिल चेन्नई निवासी ज्योति बेन का कहना है कि नेलांग व जादूंग घाटी की खूबसूरती लेह-लद्दाख को भी मात देती है। यहां जो भी पर्यटक एक बार आ जाए, निश्चित रूप से वह इन स्थलों के दीदार को बार-बार आना चाहेगा।
ज्योति बेन के अनुसार भारत-चीन सीमा पर स्थित नेलांग व जादूंग आने के लिए आवागमन के रास्ते भी अनुकूल हैं। सुगमता से पर्यटक इन स्थलों की सैर कर सकते हैं। मुंबई निवासी डॉ. नारिमान कबिना कहते हैं कि लेह-लद्दाख की तरह नेलांग घाटी में भी प्रकृति ने खुले हाथों सुंदरता बिखेरी है। बस थोड़ी दिक्कत मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण होती है। अगर पर्यटकों के लिए यहां रहने-खाने की सुविधाएं विकसित हो जाएं तो भारी तादाद में देश-विदेश से पर्यटक यहां पहुंचेंगे।
अपनी ओर खींचते हैं रेतीले पहाड़
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर गंगोत्री हाइवे पर स्थित भैरोंघाटी से नेलांग घाटी के लिए सड़क जाती है। नेलांग की दूरी भैरव घाटी से 27 किलोमीटर है। यहां आइटीबीपी व सेना का कैंप है। नेलांग से आठ किलोमीटर दूर नागा और नागा से 15 किलोमीटर दूर जादूंग व नीलापानी है, जबकि नागा से एक मार्ग सोनम, त्रिपानी, पीडीए, सुमला व मेंडी को भी जाता है।
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सामरिक दृष्टि से संवेदनशील होने के कारण इस घाटी में मानवीय गतिविधियां भी सीमित हैं। लेकिन, ट्रांस हिमालय का क्षेत्र होने के कारण यहां के रेतीले पहाड़ों और नदी-झील की सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ती है। इसी नैसर्गिक सुंदरता के दीदार को यहां देश-दुनिया के पर्यटक खिंचे चले आते हैं। लेकिन, इस क्षेत्र में रहने-खाने की सुविधा न होने के कारण पर्यटकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। साथ यहां पहुंचने को अनुमति लेने के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं से भी गुजरना पड़ता है। जिससे यहां पर्यटक आसानी से नहीं पहुंच पाते। इसी को देखते हुए स्थानीय व्यवसायी इस क्षेत्र में पर्यटकों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की मांग कर रहे हैं।
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इन स्थलों की भी कर सकते हैं सैर
नेलांग घाटी पहुंचने के बाद यह घाटी तीन हिस्सों में बंट जाती है। जादूंग, पीडीए और नीलापानी। साथ ही नागा, सोनम, त्रिपानी, सुमला, मेंडी आदि रमणीक स्थल भी यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।
रोजगार के साधन विकसित होंगे
उत्तरकाशी में होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय पुरी ने बताया कि हमारे यहां गंगोत्री के अलावा नेलांग घाटी पर्यटकों के लिए एकमात्र विकल्प है। यहां पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाएं जुटाई जानी चाहिएं, ताकि पर्यटक बार-बार यहां आएं। इससे जहां रोजगार के साधन विकसित होंगे, वहीं पर्यटन बढ़ने के साथ सीमावर्ती क्षेत्र से पलायन पर भी अंकुश लगेगा।
प्रचार-प्रसार के भी किए जा रहे प्रयास
उत्तरकाशी के जिला पर्यटन अधिकारी केएस नेगी ने बताया कि नेलांग में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देश के विभिन्न राज्यों से जो पर्यटक यहां पहुंचे, उनसे अपील की गई है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में इन पर्यटक स्थलों के बारे में बताएं। साथ ही इसके प्रचार-प्रसार के भी प्रयास किए जा रहे हैं।