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पूर्व विधायक समेत आठ को न्यायिक हिरासत में भेजा

हाईवे जाम करने के मामले में जमानत न कराने पर मुंसिफ कोर्ट ने पूर्व विधायक गोपाल रावत, भटवाड़ी ब्लॉक के ब्लाक प्रमुख चंदन सिंह पंवार समेत आठ लोगों को सात मई तक न्यायिक हिरासत में नई टिहरी जेल भेज दिया है।

By sunil negiEdited By: Published: Fri, 29 Apr 2016 08:48 PM (IST)Updated: Fri, 29 Apr 2016 08:51 PM (IST)
पूर्व विधायक समेत आठ को न्यायिक हिरासत में भेजा

उत्तरकाशी। हाईवे जाम करने के मामले में जमानत न कराने पर मुंसिफ कोर्ट ने पूर्व विधायक गोपाल रावत, भटवाड़ी ब्लॉक के ब्लाक प्रमुख चंदन सिंह पंवार समेत आठ लोगों को सात मई तक न्यायिक हिरासत में नई टिहरी जेल भेज दिया है। इस मामले में कुल 21 लोगों के खिलाफ मनेरी थाने में 27 मई 2015 को हाईवे जाम करने का मुकदमा दर्ज किया गया था। इसमें 12 लोगों ने पहले ही जमानत करा दी है। एक व्यक्ति का निधन हो चुका है।
गौरतलब है कि 27 मई को पूर्व विधायक गोपाल सिंह रावत, भटवाड़ी ब्लाक प्रमुख चंदन ङ्क्षसह पंवार के नेतृत्व में लाटा-सौंरा पुल निर्माण तथा पुल निर्माण देरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर भटवाड़ी के निकट लाटा के पास धरना प्रदर्शन किया था।

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इन पर आरोप है कि उस दिन इन्हों गंगोत्री हाईवे पर जाम लगाया। मनेरी थाना पुलिस ने पूर्व विधायक गोपाल रावत, ब्लाक प्रमुख चंदन ङ्क्षसह पंवार, जिला पंचायत सदस्य मंगला राणा सहित 21 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराई थी। इस मामले में 12 लोगों ने कोर्ट से जमानत करा दी थी।

एक व्यक्ति का इसी बीच निधन हो गया था। बाकी आठ लोगों ने शुक्रवार को मुंसिफ कोर्ट में आत्म समर्पण किया। आत्म समर्पण करते हुए पूर्व विधायक गोपाल रावत सहित अन्य ने कहा कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है। इसी लिए वे जमानत नहीं करेंगे तथा न्यायिक अभिरक्षा में जाने को तैयार है।

जमानत न करने पर कोर्ट ने पूर्व विधायक गोपाल रावत, ब्लाक प्रमुख चंदन सिंह पंवार, जिला पंचायत सदस्य मंगला राणा, मनमोहन सिंह राणा, अरविंद सिंह नेगी, दिनेश रावत, लोकेन्द्र सिंह रावत, हरिओम सिंह को 7 मई तक न्यायिक हिरासत में नई टिहरी जेल भेज दिया है।

मीडिया से बात करते हुए पूर्व विधायक गोपाल रावत ने कहा कि एक साल पहले लाटा में जो ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन किया था। वह पुल की मांग के लिए किया था। लाटा सौंरा पुल की स्वीकृति 2008 में हो गई थी। इसके लिए 4.90 करोड़ की स्वीकृति भी हुई। लेकिन लोनिवि के अधिकारियों ने इस पुल निर्माण में बड़ी धांधली की। साथ ही निर्माण को अधूरा छोड़ा। आज तक यह पुल नहीं बन पाया।
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