गंगा के उद्गम स्थल गोमुख की आकृति बदली
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी वैज्ञानिकों के अनुसार गंगा के उद्गम स्थल गोमुख (गाय का मुंह) की आकृति म
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी वैज्ञानिकों के अनुसार गंगा के उद्गम स्थल गोमुख (गाय का मुंह) की आकृति में बदलाव आ रहा है। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने दो दिन तक किए गए अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला। वैज्ञानिकों का कहना है कि गंगोत्री ग्लेशियर के अधिकतम तापमान में सात से आठ डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि न्यूनतम तापमान सामान्य है।
गंगोत्री ग्लेशियर के अध्ययन के लिए वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान का पांच सदस्यीय दल 21 मई को गोमुख गया। टीम 22 और 23 मई अध्ययन कर 24 मई को गंगोत्री पहुंची। गुरुवार को उत्तरकाशी में जागरण से बातचीत में टीम लीडर संस्थान के निदेशक डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि इन दिनों गंगोत्री में अधिकतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस चल रहा है, जो कि आमतौर पर सात से आठ डिग्री सेल्सियस के आसपास रहना चाहिए। जबकि रात का तापमान माइनस पांच डिग्री है। यह सामान्य माना जा सकता है। उन्होंने बताया कि टीम वर्ष 2014 से ग्लेशियर का अध्ययन कर रही है। अध्ययन में पाया गया कि ग्लेशियर प्रतिवर्ष 22 मीटर पीछे खिसक रहा है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि तापमान बढ़ने का असर साफ महसूस किया जा सकता है। बर्फ तेजी से पिघल रही है और इस कारण उद्गम स्थल पर भागीरथी का जलस्तर भी बढ़ा है। उन्होंने बताया कि इसी वजह से जहां से गंगा निकल रही है उस स्रोत के आकार में भी परिवर्तन आया है।
टीम में शामिल विशेषज्ञ समीर तिवारी ने बताया कि गंगोत्री ग्लेशियर में मानवीय दखल ज्यादा नहीं है। गंगोत्री नेशनल पार्क ने गोमुख जाने वाले पर्यटकों की संख्या को सीमित कर रखी है। उन्होंने बताया कि यूं भी पर्यटकों को गोमुख से पांच सौ मीटर दूर ही रोक दिया जाता है। उन्होंने कहा कि तापमान में वृद्धि की वजह का अध्ययन किया जा रहा है। अभी इस बारे में कुछ कहना ठीक नहीं है।