हर्षिल घाटी में फंगस की चपेट में आया सेब
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : हर्षिल घाटी में सेब के बगीचों में मार्सोनिना ब्लॉच (असामयिक पतझड़) फंगस
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : हर्षिल घाटी में सेब के बगीचों में मार्सोनिना ब्लॉच (असामयिक पतझड़) फंगस ने हमला बोल दिया है। इसकी चपेट में अभी 50 फीसद सेब के बगीचे आ चुके हैं। उद्यान विभाग व देहरादून से आए वैज्ञानिकों की टीम ने अलर्ट घोषित कर दिया है। अगर इसका उपचार नहीं किया गया तो यह फंगस सेब व अन्य फसलों पर महामारी की तरह फैल सकता है।
उत्तरकाशी जनपद की हर्षिल घाटी सेब के लिए प्रसिद्ध है। इस घाटी में सुक्की टॉप, झाला, पुराली, बगोरी, हर्षिल, धराली, मुखवा, जसपुर, छोलमी में सेब के बगीचे हैं। यहां हर सीजन में आठ हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। मगर इस बार यहां के सेब के बगीचों पर मार्सोनिना ब्लॉच फंगस ने हमला बोल दिया है। इससे पत्तियां सूखकर झड़ने लगी हैं। यह रोग फलों के विकास में बाधा बन गया है। सबसे अधिक धराली के सेब के बगीचे इसकी चपेट में है।
इस रोग का पता तब चला है जब बीते गुरुवार को उद्यान विभाग के वैज्ञानिकों की टीम हर्षिल घाटी के निरीक्षण पर आई। निरीक्षण करने के बाद उत्तरकाशी लौटे पौध सुरक्षा अधिकारी डॉ. सुरेश राम, उद्यान विशेषज्ञ डॉ. पंकज नौटियाल, जिला उद्यान अधिकारी नरेन्द्र कुमार यादव ने इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी। साथ ही टीम ने हर्षिल घाटी में अलर्ट घोषित कर सुझाव भी दिए।
क्या है मासोर्निना ब्लॉच
जिला उद्यान अधिकारी नरेन्द्र कुमार यादव ने बताया है कि मार्सोनिना ब्लॉच (असामयिक पतझड़) एक फंगस है। इसे रोकने को शुरू में ही छिड़काव करना होता है। एक बार यह फैल गया तो इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। जब पत्ते झड़ जाएं तो फलों का विकास भी रुक जाता है। यह आने वाले सालों तक भी सेब की फसल को प्रभावित करता है।
वैज्ञानिकों ने दिए सुझाव
- नीचे गिरी हुई ग्रसित पत्तियों को एकत्र कर जलाना
-उचित मात्रा एवं उचित समय पर दवाओं का छिड़काव करना
-पेड़ों की उचित कटाई-छंटाई, जिससे पेड़ों में हवा व प्रकाश आसानी आ सके।
मार्सोनिना ब्लॉच फंगस की चपेट में हर्षिल घाटी के करीब 50 फीसद बगीचे आ गए हैं। इसका तत्काल उपचार करना होगा। इसके लिए वैज्ञानिकों की टीम ने हर्षिल घाटी में अलर्ट घोषित किया है।
-नरेन्द्र कुमार यादव, जिला उद्यान अधिकारी उत्तरकाशी।