मानसून से पहले ही सहमे लोग
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : पहाड़ में मुसीबत का मानसून आने को है, लेकिन इससे निपटने को प्रशासन की तै
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : पहाड़ में मुसीबत का मानसून आने को है, लेकिन इससे निपटने को प्रशासन की तैयारी नजर नहीं आ रही। जिला मुख्यालय के निकटवर्ती स्यूंणा, चामकोट, अठाली, दिलसौड़ समेत 150 से ज्यादा गांव के लोग मानसून की आहट से ही सहमे हुए हैं। मानसून के दौरान इन गांवों में बिजली, पेयजल और संचार जैसी सुविधाएं भी ठप हो जाती हैं। ये गांव जिला मुख्यालय से पूरी तरह अलग थलग पड़ जाते हैं।
बीते सालों में एक साथ कई गांवों में इस तरह के हालात शासन प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती साबित हुए हैं। एक बार फिर मानसून की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। जिला प्रशासन अभी तक इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं हुआ है, जबकि इसके लिए दो माह पहले से ही ठोस तैयारी की जरूरत महसूस की जा रही थी।
इन इलाकों में ज्यादा परेशानी
भटवाड़ी ब्लॉक- केलसू, टकनौर व नाल्ड कठूड़ क्षेत्र
डुण्डा ब्लॉक- गाजणा क्षेत्र 10 गांव
चिन्यालीसौड़- दिचली व गमरी क्षेत्र के 50 गांव
नौगांव- गीठ, बनाल व ठकराल क्षेत्र के 50 गांव
पुरोला ब्लॉक- सरबडियार क्षेत्र के 7 गांव
मोरी- पर्वत व बंगाण क्षेत्र के 30 गांव
मानसून के दौरान परेशानी
-भूस्खलन और नदियों के प्रवाह से सड़कें व रास्ते बंद होना।
-विद्युत, पेयजल व संचार सुविधाएं ठप होना।
-खाद्यान्न व अन्य जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति बाधित होना।
-नगर व कस्बों में जलभराव की समस्या।
-स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था का पटरी से उतरना।
-जलजनित डायरिया जैसे संक्रामक रोग का खतरा।
मानसून को लेकर जरूरी तैयारी की जा रही है। सभी संबंधित विभागों को जरूरी दिशा निर्देश देने के साथ ही आपदा कंट्रोल रूम को भी सक्रिय किया गया है। हर निर्देश का फीडबैक भी लिया जा रहा है।
-इंदूधर बौड़ाई, जिलाधिकारी