ठेकेदार पर मेहरबान जिला पंचायत
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी : हिमाचल सीमा पर आराकोट माल चौकी पर जिला पंचायत ने जानबूझकर साढ़े पांच लाख र
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी : हिमाचल सीमा पर आराकोट माल चौकी पर जिला पंचायत ने जानबूझकर साढ़े पांच लाख रुपये का नुकसान उठाया। इस बार माल चौकी का ठेका देने में जिला पंचायत को साढ़े पांच लाख का नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन यह ठेका पंद्रह साल से काबिज ठेकेदार को ही दिया गया।
मोरी के सीमा पर हिमाचल से सटी आराकोट माल चौकी पर जिला पंचायत एक ही ठेकेदार पर मेहरबान है। बीते पंद्रह सालों से उक्त ठेकेदार को ही हर साल यहां माल चौकी का ठेका मिलता आ रहा है। इस बार भी जिला पंचायत ने तीन बार निविदाएं निकाली और रद की। इसके बाद फिर से मौजूद ठेकेदार को ही माल चौकी का ठेका सौंपा गया। बीते साल जिला पंचायत को इस चौकी से साढ़े ग्यारह लाख रुपये का राजस्व मिला था, लेकिन इस बार जिला पंचायत ने मौजूदा ठेकेदार को यही चौकी छह लाख में सौंप दी। एक ही ठेकेदार के लिए नियम कानूनों में बदलाव करने और उसे ही बीते डेढ़ दशक से माल चौकी सौंपे जाने पर जिला पंचायत की मंशा पर भी सवाल उठने लगे हैं। संबंधित मामले की शिकायत कई बार जिलाधिकारी से की गई है। ग्रामीणों की माने तो कई बार ठेकेदार वाहनों की आवाजाही को लेकर विवाद खड़ा कर देता है। इसकी शिकायतें जिला पंचायत से कई बार की गई, लेकिन अब तक ना तो ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई ना हीं लोगों के प्रति ठेकेदार के रवैये में कोई बदलाव आया।
ज्यादा वसूली का आरोप
जिला पंचायत की आराकोट स्थित माल चौकी पर आवाजाही करने वाले वाहनों से तय शुल्क से कई गुना ज्यादा रकम वसूलने का आरोप भी संबंधित ठेकेदार पर लगता रहा है। जिला पंचायत की ओर से यहां छोटे वाहन की आवाजाही पर तीस रुपये और बड़े वाहन की आवाजाही पर साठ रुपये का शुल्क निर्धारित है। लेकिन, लोगों की माने तो ठेकेदार प्रति वाहन आवाजाही का शुल्क दो सौ से तीन सौ रुपये तक वसूल रहा है।
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नुकसान के चलते ही इस बार निविदा राशि कम की गई थी, लेकिन यदि अधिक मूल्य वसूलने की शिकायत है तो जिला पंचायत इसकी जांच करवाएगी। मेरा कार्यकाल इसी साल शुरू हुआ है, लिहाजा इस मामले में ज्यादा जानकारी नहीं है।
जशोदा राणा, अध्यक्ष, जिला पंचायत उत्तरकाशी