खतरे में यमुनोत्री, संजीदा नहीं सरकार
ओंकार बहुगुणा, बड़कोट चारधाम यात्रा का पहला धाम यमुनोत्री खतरे के साये में है। दरकती कालिंदी पहाड़
ओंकार बहुगुणा, बड़कोट
चारधाम यात्रा का पहला धाम यमुनोत्री खतरे के साये में है। दरकती कालिंदी पहाड़ी और मंदिर परिसर की ओर बढ़ता यमुना का प्रवाह धाम में तबाही ला सकता है। धाम की सुरक्षा के नाम पर पिछले सात सालों में एक करोड़ रुपये से अधिक धनराशि भी खर्च हो चुकी है लेकिन लीपापोती और निम्न गुणवत्ता के कार्यो के चलते अब तक हुए सुरक्षा इंतजाम नाकाफी ही साबित हो रहे हैं।
केदारनाथ त्रासदी के बाद भी यमनोत्री धाम की सुरक्षा को लेकर सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए हैं। दरकते कालिंदी पहाड़ी के ठीक नीचे यमुनोत्री धाम में वर्ष 1982, 1984, 2002 और 2004 में पत्थर गिरने की घटनाएं और नदी के बहाव से गर्भगृह को नुकसान पहुंचने की घटनाएं हो चुकी हैं। वर्ष 2004 में तो पहाड़ी से पत्थर गिरने से मंदिर परिसर में मौजूद 6 लोगों की मौत हो गई थी। वर्ष 2013 में मंदिर समिति की ओर से सुरक्षा को लेकर गुहार लगाई गई थी। सरकार ने सिंचाई विभाग को कामचलाऊ सुरक्षा कार्य की जिम्मेदारी सौंप दी। इसके साथ ही जीएसआई व इसरो से इसका अध्ययन कराया गया। जुलाई 2013 में जिलाधिकारी के आग्रह पर भूगर्भ एवं भूखनिक इकाई उत्तराखंड और आइआइआरएस (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग) के पीके चंपतिरे व डॉ. एसएल चटर्जी ने कालिंदी पहाड़ी का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में कहा गया कि यमुनोत्री धाम बाढ़, भूस्खलन और पत्थर गिरने को लेकर काफी संवेदनशील है, जिसका समय रहते इसका उपचार किया जाना जरूरी है। रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि जियोग्रिड वॉल और अन्य माध्यमों से इसे उपचारित किया जा सकता है। लेकिन आज तक इस दिशा में सरकार और प्रशासन की ओर से कोई भी कदम नहीं उठाया गया। वैज्ञानिकों ने मंदिर को यमुना के कटाव से बचाव के लिए नदी से मलबा हटाने, पूर्वी तट पर सीसी ब्लॉक का निर्माण करने और कालिंदी पर्वत से भूस्खलन रोकने को रॉक बोल्डिंग के साथ ही मजबूत वायरक्रेट लगाने के सुझाव दिए थे। जिला प्रशासन ने 2014 भूवैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर यमुनोत्री धाम की सुरक्षा के लिए प्रस्ताव भी भेजा, लेकिन अब तक शासन स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। तीर्थ पुरोहित और स्थानीय लोग शासन प्रशासन से यमुनोत्री धाम की सुरक्षा को ठोस कदम उठाने की माग कर चुके हैं। हालत यह है कि नदी से हो रहा कटाव और कालिंदी पर्वत से गिरते बोल्डर यमुनोत्री धाम में कभी भी कहर ढा सकते हैं।
चारधाम यात्रा के पहले धाम यमुनोत्री के प्रति सरकार उपेक्षित रवैया अपनाती रही है। खतरों को लेकर कई बार आगाह करने पर भी कार्रवाई न होने से धाम के अस्तित्व पर संकट गहरा रहा है।
पुरुषोत्तम उनियाल, सचिव, यमुनोत्री मंदिर समिति
यमुनोत्री धाम में खतरे का अध्ययन व सर्वे कराया गया है। सुरक्षा कार्यो के लिए शासन को प्रस्ताव भी भेजा गया है। उम्मीद है कि इस संबंध में शासन से जल्द ही कोई दिशा निर्देश प्राप्त होंगे।
इंदूधर बौड़ाई, जिलाधिकारी