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स्टोन क्रशर की गरज के आगे प्रशासन पस्त

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : स्टोन क्रशर संचालकों की मनमानी के आगे जिला प्रशासन असहाय दिख रहा है। यह

By Edited By: Published: Mon, 23 Mar 2015 09:12 PM (IST)Updated: Mon, 23 Mar 2015 09:12 PM (IST)

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : स्टोन क्रशर संचालकों की मनमानी के आगे जिला प्रशासन असहाय दिख रहा है। यही वजह है कि अभी तक मानकों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे क्रशरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। उल्टे जिला प्रशासन स्टोन क्रशर संचालकों के सहयोगी की भूमिका में नजर आ रहा है।

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जिला मुख्यालय पर बाढ़ सुरक्षा कार्यो के नाम पर दो स्टोन क्रशर बदस्तूर गरज रहे हैं। मानकों के विपरीत भागीरथी नदी से सटकर बनाए गए इन स्टोन क्रशरों के संचालकों ने भारी भरकम प्लांट खड़े किए हैं। जबकि जिला प्रशासन की ओर से इन्हें अनुमति सिर्फ ग्रेन्यूलेटर मशीन (पत्थर तोड़ने वाली छोटी मशीन) लगाने की ही मिली है। कम स्थान में लगाई जाने वाली यह मशीन एक ही पत्थरों के एक ही आकार के टुकड़े तैयार करती है। लेकिन हकीकत में यह अनुमति कागजी औपचारिकता ही है। लगातार गरज रहे इन स्टोन क्रशरों से लक्षेश्वर, कोटबंगला, उजेली, तिलोथ व कुटेटी जैसी आबाद बस्तियों की आबोहवा खराब हो गई है। वहीं इनके संचालकों की हनक के आगे जिला प्रशासन के अधिकारी कर्मचारी भी लाचार दिख रहे हैं। मातली बस्ती के लिए लंबे समय से एक स्टोन क्रशर मुसीबत का सबब बना हुआ है। यह प्लांट भी भागीरथी नदी के एकदम निकट है और संचालक इसका विस्तार करने में जुटे हैं। लेकिन जिला प्रशासन इस ओर से भी पूरी तरह आंखें बंद किए हुए है। यही नहीं, जिला प्रशासन के काम करने के तौर तरीकों से स्टोन क्रशर संचालकों को और बढ़ावा मिल रहा है। हालांकि स्थानीय लोगों की शिकायत पर प्रशासन की ओर से इन क्रशर संचालकों को नोटिस भेजने की औपचारिकता जरूर पूरी की जाती रही है। लेकिन ठोस कार्रवाई अभी तक नहीं हो सकी है।

रॉयल्टी की धनराशि की माफ

प्रशासन ने हाल ही में तिलोथ में बाढ़ सुरक्षा दीवान निर्माण के साथ ही स्टोन क्रशर चला रही जेस्को कंसट्रक्शन कंपनी से भागीरथी से बाढ़ का मलबा उठाने की रॉयल्टी की बड़ी धनराशि माफ कर दी। अनुबंध के अनुसार कंपनी को 85 लाख रुपये की रॉयल्टी का जिला प्रशासन को भुगतान करना था, जिसके लिए दो बार कंपनी को नोटिस भी भेजे गए और उसके बाद आरसी भी काटी गई। लेकिन जिला प्रशासन ने कुछ दिन पूर्व कंपनी से महज सात लाख रुपये जमा करवाकर शेष धनराशि माफ कर दी। इसके पीछे जिला प्रशासन की दलील है कि कंपनी ने नदी से कम मात्रा में मलबा उठाया है।

स्टोन क्रशर के मानक (पर्वतीय क्षेत्र, अनुज्ञान नीति 2011)

स्थान-सयंत्र से न्यूनतम दूरी

सरकारी वन-100 मीटर

नदी तट से-100 मीटर

धार्मिक स्थल से-125 मीटर

शिक्षण संस्थान से-175 मीटर

अस्पताल से- 175 मीटर

आवासीय भवन से-125 मीटर

आवासीय क्षेत्र-175 मीटर

स्टोन क्रशर संचालन में अनियमितता को लेकर खनन अधिकारी से जांच कराई जाएगी। मानकों के विपरीत पाए जाने पर इस दिशा में जरूर कार्रवाई होगी। बाढ़ सुरक्षा कार्य के लिए तय शर्तो के अनुसार ही स्टोन क्रशर को अनुमति दी गई है।

इंदूधर बौड़ाई, जिलाधिकारी, उत्तरकाशी।


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