खतरे में गांव, रिपोर्ट का इंतजार
संवाद सूत्र, पुरोला : मोरी प्रखंड के सुदूरवर्ती सरबडियार क्षेत्र के तीन गांव खतरे की जद में हैं। विस
संवाद सूत्र, पुरोला : मोरी प्रखंड के सुदूरवर्ती सरबडियार क्षेत्र के तीन गांव खतरे की जद में हैं। विस्थापन के नाम पर यहां दो बार सर्वे भी हो चुका है लेकिन पांच सालों में ना तो विस्थापन हुआ ना हीं सर्वे की रिपोर्ट आई। हर साल मानसून के दौरान ये तीनों गांव खतरे के करीब पहुंच रहे हैं लेकिन विस्थापन फाइलों में भी अटक कर रह गया है।
मोरी तहसील मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर गोल, पौंटी और छानिका गांव बीते पांच साल से दरक रहे हैं। दो नालों से हो रहे कटाव से इन गांवों के वजूद पर खतरा मंडरा रहा है। साल 2008 में प्रशासन ने खतरे को देखते हुए इन गांवों के विस्थापन की संस्तुति की। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि नजदीक आ रही मौत से जल्द ही उन्हें बचाया जा सकेगा। लेकिन पांच सालों में विस्थापन के नाम पर सर्वे कि सिवाय कुछ नहीं हुआ। भू वैज्ञानिकों की टीम आई और सर्वे कर लौट गई। लेकिन इन सर्वे की न तो अब तक रिपोर्ट आई है और न ही गांव के विस्थापन की प्रक्रिया फाइलों से धरातल पर उतर सकी है। तीनों गांवों के 120 परिवार विस्थापन के इंतजार में धंसते गांवों में रहने को मजबूर हैं। वर्ष 2008 में इन गांवों के लोगों का खिमोत्रा तोक में विस्थापन को 72 नाली भूमि की भूवैज्ञानिकों ने जांच भी की जबकि दो वर्ष पूर्व स्थानीय प्रशासन से ग्रामीणों की सहमति और तीन-तीन लाख रुपये मुआवजे की राशि का प्रस्ताव भी शासन को भेजा। हालांकि खिमोत्रा तोक को भू वैज्ञानिकों ने बसावट के लिहाज से सुरक्षित नहीं माना तो प्रशासन ने डोखरी तोक में 63 नाली जमीन की जांच भू वैज्ञानिकों से करवाई। लेकिन इस जांच की अब तक रिपोर्ट भी जारी नहीं हो सकी है। ऐसे में विस्थापन फिलहाल दूर की कौड़ी दिख रहा है।
बडियाड क्षेत्र के तीन गांव के विस्थापन को शासन से स्वीकृति मिल गई है। पूर्व में चयनित खिमोत्रा तोक की भूमि को भू विशेषज्ञों ने खारिज कर सितंबर माह में दोबारा से डोखरी नामें तोक में भूमि का चयन व जांच की है। वैज्ञानिक रिपोर्ट आते ही विस्थापन की कार्रवाई की जाएगी।
आरके पांडेय, एसडीएम पुरोला