बिना लैब कैसे बनेंगे इंजीनियर
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : जिले में तकनीकी शिक्षा की हालत कितनी बुरी है, इसका अंदाजा जिले के सबसे
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : जिले में तकनीकी शिक्षा की हालत कितनी बुरी है, इसका अंदाजा जिले के सबसे बड़े पालीटेक्निक संस्थान में लैब के न होने से लगाया जा सकता है। भविष्य में इंजीनियर बनने के सुनहरे सपने संजोए छात्र बिना लैब के कैसे अपना भविष्य बनाएंगे, इसमें भी संशय बना हुआ है। राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थान की यह हालत बीते कई वर्षो से बनी हुई है। सिविल, इलेक्ट्रिकल व मैकेनिकल तीनों ट्रेड की प्रयोगात्मक पढ़ाई भगवान भरोसे ही चल रही है।
उत्तरकाशी में कोटी स्थित राजकीय पालीटेक्निक जिले का सबसे बड़ा और पुराना तकनीकी शिक्षण संस्थान है। वर्तमान में इस संस्थान में इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रानिक्स व सिविल ट्रेड संचालित हो रही है। तीनों ट्रेड में प्रथम से तृतीय वर्ष तक साढ़े तीन सौ छात्र अध्ययनरत हैं। इसके अलावा चिन्यालीसौड़, पिपली व बड़कोट के नए पालीटेक्निक में शैक्षणिक सुविधाओं की कमी के कारण वहां के डेढ़ सौ छात्रों को भी इसी पालीटेक्निक में पढ़ाई के लिए आना पड़ रहा है। इसके बावजूद तकनीकी शिक्षा के लिए जरूरी कंप्यूटर व ड्राइंग लैब अब तक छात्रों को नहीं मिल पाया है। संस्थान में प्रवक्ता के 17 में से पांच पदों पर ही स्थाई प्रवक्ता हैं। वहीं लैब असिस्टेंट का पद भी रिक्त है। इस स्थिति के कारण छात्र असमंजस में हैं। वहीं वे इस बात से भी अनजान हैं कि प्रयोगात्मक कक्षाओं की समय सारिणी क्या है।
ट्यूशन के भरोसे पढ़ाई
पालीटेक्निक के छात्रों को अपने संस्थान से अधिक अब ट्यूशन पर भरोसा है। हर विषय के लिए छात्रों को ट्यूशन लेना पड़ रहा है। इसका उनके ऊपर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी पड़ रहा है, जबकि दूर दराज के ग्रामीण इलाकों से आवाजाही करने वाले छात्रों को यह सुविधा भी आसानी से उपलब्ध नहीं हो रही है।
लैब की स्थिति सुधारी जा रही है, वहीं रिक्त पदों को लेकर शासन को मांग भी भेजी जा चुकी है। फिलहाल सीमित संसाधनों से ही संस्थान को बेहतर ढंग से संचालित करने का प्रयास किया जा रहा है।
उमेश प्रसाद, प्रधानाचार्य, राजकीय पालीटेक्निक उत्तरकाशी