सेंसिटिव जोन के विरोध में उठे स्वर
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी: गोमुख से उत्तरकाशी तक सौ किमी लंबे 4179.59 हेक्टेयर क्षेत्र को इको सेंसिट
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी: गोमुख से उत्तरकाशी तक सौ किमी लंबे 4179.59 हेक्टेयर क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने के विरोध में स्वर उठने लगे हैं।
18 दिसंबर 2012 को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इस क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित कर दिया था। जोन में भटवाड़ी ब्लॉक के 88 गांव शामिल किए जा रहे हैं। तकरीबन दो साल तक राज्य सरकार की चुप्पी से यह मामला बंद रहा, लेकिन बीते दिनों राज्य सरकार की ओर से जोनल मास्टर प्लान बनाने के फैसले के बाद फिर मामला गर्मा गया है। स्थानीय लोगों की नाराजगी का कारण यह भी है कि अब तक सरकार और स्थानीय प्रशासन ने दोनों ने ही लोगों को इको सेंसिटिव जोन के प्रभावों के बारे में स्पष्ट नहीं बताया है। वहीं आंचलिक महायोजना में भी स्थानीय लोगों की भूमिका ना होने से अंदेशा जताया जा रहा है कि पूरे क्षेत्र में अफसरशाही से ही काम होंगे। इको सेंसिटिव जोनल प्लान में राज्य सरकार को साफ निर्देश दिए गए थे कि लागू होने के दो साल के भीतर महाआंचलिक योजना तैयार की जाए। इसमें स्थानीय ग्रामीणों की विशेषकर महिलाओं की भूमिका सुनिश्चित की जाए। अब स्थानीय स्तर पर जन प्रतिनिधि और ग्रामीण इको सेंसिटिव के विरोध में बड़े जन आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं। अगले सोमवार को काली कमली धर्मशाला में इको सेंसिटिव जोन के खिलाफ आंदोलन को रणनीति भी तैयार की जाएगी।
'यह क्षेत्र के लिए काला कानून साबित होगा। इससे अफसरशाही बढ़ेगी, स्थानीय लोगों को सरकारी अफसर छोटी छोटी बात पर परेशान करना शुरू कर देंगे। इसके लिए अब तक जोनल मास्टर प्लान ना बनने से साफ हो गया है कि इसमें स्थानीय लोगों के हक हकूक बुरी तरह प्रभावित होंगे। चंदन सिंह पंवार, ब्लॉक प्रमुख भटवाड़ी।
'हम इस मामले को लेकर हाईकोर्ट भी गए थे। हाईकोर्ट ने सरकार को इसमें पहले जन सुनवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक भी लोगों की ना तो राय जानी गई ना हीं इसे बेहतर ढंग से समझाया गया।
लोकेंद्र सिंह बिष्ट, मीडिया प्रभारी भाजपा उत्तरकाशी।
'इको सेंसिटिव जोन भटवाड़ी ब्लॉक का विकास अवरुद्ध कर देगा। आपदा की मार से बेहाल इस हिस्से को देश दुनिया से अलग थलग कर देगा। क्षेत्र बुरी तरह से पिछड़ जाएगा।
जगमोहन सिंह रावत, महामंत्री भाजपा उत्तरकाशी।