.. अंधेरे में मनेगा प्रकाश का पर्व
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी : इस बार भी मोरी क्षेत्र की दस हजार आबादी रोशनी का त्योहार दीपावली अंधेरे
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी :
इस बार भी मोरी क्षेत्र की दस हजार आबादी रोशनी का त्योहार दीपावली अंधेरे में बिताएगी। चारों तरफ प्रकाश पुंजों से रोशन माहौल में इन गावों में अमावस की यह काली रात और भी खतरनाक लगने लगती है। पूरे क्षेत्र में पसरा अंधेरा तकरीबन छह दशक से छंटने का नाम नहीं ले रहा है।
मोरी प्रखंड के पंचगाई, बडासू, अडोर, फतेपर्वत व सिंगतूर पट्टी के 42 गाव आज भी बिजली की रोशनी को तरस रहे हैं। 1955 से गोविंद पशु विहार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इन गावों की साढ़े दस हजार की आबादी लालटेन के सहारे रात काटने को मजबूर है। पशु विहार के कायदे कानून इन गांवों के विकास में बाधक साबित हो रहे हैं। अन्य बुनियादी सुविधाओं के साथ ही गांवों तक विद्युत लाइन पहुंचाने में भी पशु विहार के नियम आड़े आते रहे हैं। क्षेत्र में दस साल पहले उरेडा की तालुका, चीलूगाड व खापूगाड परियोजनाओं का निर्माण शुरू हुआ था। इनमें तालुका परियोजना तैयार हुई और कुछ समय बाद खराब भी हो गई। शेष दो परियोजनाओं का निर्माण अब भी पूरा नहीं हो सका है। ऐसे हालात में ग्रामीण मोबाइल भी सोलर बैटरी के जरिये ही चार्ज कर पाते हैं। आलम यह है कि रोशनी के पर्व दीपावली में भी मोरी क्षेत्र के इस हिस्से में रात को घुप अंधेरा पसरा रहता है।
बग्वाल का रहता है उत्साह
यहां ग्रामीणों के लिए दीपावली कोई खास मायने नहीं रखती। हालांकि दिसंबर महीने में पारंपरिक तरीके से मनाई जाने वाली बग्वाल को पूरे जोश के साथ मनाया जाता है। इसे यहां दीपावली का विकल्प माना जाता है।
घोषणाएं भी हुए हवाई
मोरी क्षेत्र के गोविंद पशु विहार पार्क के तहत आने वाले इन गांवों को बीते साल अक्टूबर महीने में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बाहर करने की घोषणा की थी। इसके बाद यहां बिजली, सड़क जैसी सुविधाएं बहाल होने की उम्मीद जगने लगी थी। साल भर बीतने के बाद इस पर फिलहाल कोई चर्चा होती नहीं दिख रही।
मोरी प्रखंड के गांवों को बिजली से जोड़ने के निर्देश विद्युत वितरण खंड को दिए गए थे। इसकी रिपोर्ट लेकर मौजूदा स्थिति का पता किया जाएगा, उसके बाद शेष काम को शीघ्रता से कराया जाएगा।
सी. रविशंकर, जिलाधिकारी उत्तरकाशी