सेब का बेहतर विकल्प है रेड केनाल नाशपाती
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी : सेब के घटते उत्पादन का लाल रंग की नाशपाती बेहतर विकल्प हो सकती है। रेड केनाल प्रजाति की नाशपाती के लिए जिले में अनुकूल परिस्थितियां भी हैं। इसके चलते लाल नाशपाती बंपर उत्पादन के साथ ही किसानों को मालामाल करने का भी माद्दा रखती है।
ग्लोबल वार्मिग समेत अन्य कारणों से बढ़ रहे पारे से जिले में अब सेब उत्पादन की दायरा धीरे धीरे सिमटने का खतरा है। ऐसे में नाशपाती सेब का बेहतर विकल्प बन सकती है। जिले के ज्यादातर इलाकों में आबोहवा नाशपाती के लिए बिल्कुल मुफीद है। ऐसे में सेब के घटते उत्पादन से परेशान काश्तकारों को नाशपाती फिर से उम्मीद दे सकती है। फिलहाल अनजाऊ, बार्टलेट, कांफ्रेंसेस समेत पांच से छह प्रजातियों की नाशपाती का उत्पादन होता रहा है। लेकिन बढि़या उत्पादन होने के बावजूद नाशपाती को कभी बाजार नसीब नहीं हो सका। सेब के बंपर उत्पादन के चलते जिले में सेब को ही बाजार तक पहुंचना नसीब हो पाता है। एप्पल लाइन (सेब के लिए जरूरी बर्फबारी वाला क्षेत्र) के खिसकने से अब काश्तकारों के लिए नाशपाती का उत्पादन ही मुफीद माना जाने लगा है।
पारंपरिक तरीके से उगाई जा रही नाशपाती से इतर विकसित प्रजाति की नाशपाती का उत्पादन किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है। विदेशी प्रजातियों के तौर पर फिलहाल जिले में नाशपाती में सबसे बेहतर मानी जाने वाली रेड केनाल के उत्पादन में अपार संभावनाएं भी हैं। रोपाई के तीन से चार साल में ही लाल रंग की नाशपाती फल देना शुरू कर देती है। खुले बाजार में इस नाशपाती की कीमत सौ से डेढ़ सौ रुपये प्रति किलो तक आसानी से मिल जाती है। इस लिहाज से यह नाशपाती जिले में उगने वाले सेब से भी दो से तीन गुना महंगे दामों पर बिक जाती है। रेड केनाल आमतौर पर समुद्रतल से चार हजार फीट की ऊंचाई तक आसानी से उगाई जा सकती है। इस लिहाज से चिन्यालीसौड़, उत्तरकाशी, मातली, भटवाड़ी, डुंडा समेत ज्यादातर हिस्से में रेड केनाल नाशपाती का उत्पादन आसानी से हो सकता है।
सीमित दायरे में हो रहा उत्पादन
फिलहाल जिले में लाल रंग की नाशपाती की प्रजातियों में मैक्स रेड, रेड बार्टलेट का उत्पादन किया जा रहा है। नौगांव, आराकोट, चिन्यालीसौड़ में लाल रंग की प्रजातियों का सफल उत्पादन हो रहा है। उद्यान विभाग फिलहाल रेड केनाल के उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में काम करने की तैयारी में है।
रेड केनाल के उत्पादन की बेहतर संभावनाएं जिले में हैं। साथ ही यह सेब का भी बेहतर विकल्प बन सकती है। विभाग भी इसके पौधे रोपने के लिए जरूरी योजनाएं संचालित करने की योजना बना रहा है।
एनके सिंह, तकनीकी अधिकारी उद्यान विभाग उत्तरकाशी