सेब पर संकट के बादल
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी: बेमौसम बारिश व बर्फबारी ने सेब उत्पादकों की चिंता बढ़ा दी है। बारिश व बर्फबारी के चलते पारा लगातार लुढ़क रहा है। लिहाजा इन दिनों होने वाली सेब की फ्लावरिंग भी पीछे खिसक गई है।
बीते महीने से मौसम की बेरुखी सेब उत्पादकों पर भारी पड़ने लगी है। हर दिन हो रही बारिश व बर्फबारी के चलते सेब उत्पादन पर इसका बुरा असर पड़ना तय है। अमूमन अप्रैल पहले सप्ताह से ही सेब में फ्लावरिंग शुरू हो जाती है, लेकिन बेमौसम बारिश व बर्फबारी के चलते अप्रैल के दूसरे पखवाड़े की शुरूआत में भी सेब की फ्लावरिंग शुरू नहीं हुई। जिले में हर साल औसतन 58 हजार मीट्रिक टन सेब उत्पादन होता है। बढि़या फ्लावरिंग कंडीशन सेब का बंपर उत्पादन तय करती हैं। सेब की फ्लावरिंग के लिए तापमान अधिकतम 22 डिग्री तक होना चाहिए। इससे फूल बेहतर तरीके से विकसित हो सकें, लेकिन बेमौसम बारिश व बर्फबारी से सेब उत्पादन क्षेत्रों में 10 डिग्री तक भी पारा नहीं पहुंच पा रहा। लिहाजा फ्लावरिंग कंडीशन बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। सेब उत्पादक क्षेत्रों हर्षिल, धराली, सुक्की, मुखबा, झाला, बगोरी, छोलमी, जसपुर, मोरी क्षेत्र में अभी भी गाहे-बगाहे बर्फबारी हो रही है। ऐसे में इन हिस्सों में सेब के उत्पादन पर बुरा असर पड़ना तय माना जा रहा है।
आलू पर भी संकट
बीते महीनों में बेमौसम बर्फबारी व बारिश से महीनेभर पीछे खिसकी आलू की बुआई आखिरी दौर में है, लेकिन लगातार बारिश ने आलू की फसल पर झुलसा रोग की संभावना बनने लगी है। महीनेभर पीछे खिसकी आलू की फसल के यह बारिश बेहद खतरनाक साबित हो सकती है।
--------------------
मौसम का यह मिजाज सेब की फसल के अनुकूल नहीं है। यह मौसम से जुड़ी समस्या है ऐसे में उत्पादकों के पास कोई अन्य विकल्प भी नहीं बचता।
- डॉ. वीके सचान, कृषि विशेषज्ञ।