.. तो जुगाड़ से होगा उजाला
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : गंगोत्री व यमुनोत्री धाम इस बार भी ग्रिड की बिजली से नहीं जुड़ सके हैं। इसलिए बीते सालों की तरह इस बार भी उरेडा की वैकल्पिक व्यवस्था पर दोनों धामों की विद्युत व्यवस्था निर्भर रहेगी।
गंगोत्री धाम में उरेडा के दो पावर प्रोजेक्ट हैं। इनमें सौ किलोवाट का एक पुराना तथा 25 किलोवाट का नया प्रोजेक्ट शामिल है। बीते साल दोनों प्रोजेक्ट मिलकर भी पूरी क्षमता से विद्युत उत्पादन नहीं कर सके थे। इसका कारण पुरानी परियोजना में तकनीकी खराबी व नए प्रोजेक्ट में शुरुआती दिक्कतें बताया गया था। इसके चलते गंगोत्री धाम अधिकांश रातों में अंधेरे में डूबा रहा। वहीं जरूरी कामों के लिए बिजली की कमी डीजल से चलने वाले जेनरेटरों के जरिये पूरी की गई। वहीं यमुनोत्री धाम में भी उरेडा के जानकीचट्टी स्थित प्रोजेक्ट से ही विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था की जाती है, लेकिन बीते दो सालों से उरेडा की यह परियोजना दुरुस्त नहीं हो सकी है। वर्ष 2012 की आपदा से ही यह परियोजना ठप पड़ी है। इसके चलते यमुनोत्री धाम में भी विद्युत आपूर्ति की समस्या बनी हुई है। मंदिर परिसर सहित शेष यमुनोत्री में भी जेनरेटरों के भरोसे ही विद्युत व्यवस्था बहाल की गई है। वहीं जानकी चट्टी से यमुनोत्री धाम तक के पैदल मार्ग पर भी पथ प्रकाश की व्यवस्था नहीं है। अंधेरे के चलते शाम ढालने के बाद इस पैदल मार्ग पर आवाजाही करना जोखिमभरा है।
ग्रिड से नहीं जुड़ा यमुनोत्री
उत्तरकाशी : गंगोत्री धाम इस बार भी उत्तरी ग्रिड की बिजली नहीं पहुंच सकी। जबकि लंबे समय से इसकी मांग की जा रही है। हर्षिल तक ग्रिड की बिजली पहुंचाने के बाद विद्युत वितरण खंड उत्तरकाशी ने इस दिशा में कोशिशें भी शुरू की थी, लेकिन ये कोशिशें फिलहाल सर्वे तक ही सीमित हैं। वहीं यमुनोत्री धाम का जानकीचट्टी भी ग्रिड से जुड़ चुका है।
'यमुनोत्री धाम में विद्युत आपूर्ति सुचारू करने के लिए स्यानाचट्टी में एक सब स्टेशन स्थापित किया जा रहा है, जबकि गंगोत्री को ग्रिड से जोड़ने के लिए अभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी की जानी हैं। शक्ति प्रसाद, अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण उपखंड उत्तरकाशी।