बालक पर नहीं पसीजा दिल
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : किस्मत के मारे विकलांग बालक को काशी विश्वनाथ की नगरी में एक रात बिताने की जगह नहीं मिल सकी। इस वजह वह पूरी रात ठिकाने की तलाश में भटकता रहा, लेकिन किसी भी आश्रम वाले का दिल नहीं पसीजा। जहां वह गया वहीं से उसे बैरंग लौटा दिया गया।
चिन्यालीसौड़ प्रखंड के छैजुला गांव निवासी चौदह वर्षीय पवन कुमार तीन साल पहले अपने घर की छत में खेलते समय करेंट की चपेट में आ गया था। इलाज के दौरान उसके दोनों हाथ व पैरों की उंगलियां काटनी पड़ी। उसके बाद भी उसकी बदकिस्मती ने पीछा नहीं छोड़ा। कुछ माह बाद ही पवन के पिता श्यामलाल की दमे की बीमारी के कारण मौत हो गई। अब उसकी मां मीमा देवी पर ही दो बेटों को पालने की जिम्मेदारी है। बीते गुरुवार को पवन कुमार किसी काम से जिला मुख्यालय पहुंचा था। रात होने के कारण उसने रात बिताने के लिए विश्राम के लिए दंडी आश्रम क्षेत्र का रुख किया, लेकिन आश्रम में उसे देख किसी का दिल नहीं पसीजा। उसे कहीं और रहने की सलाह दी गई। इस पर पवन कुमार वहां से लौट गया और पूरी रात ठिकाने की तलाश में भटकता रहा। आश्रम प्रबंधक सीएम नौटियाल ने बताया कि उसे पास के ही एक दूसरे आश्रम का पता बताकर भेजा गया। इससे पहले उसे एक रात आश्रम में पनाह दी जा चुकी थी। दूसरी ओर इस संबंध में एसडीएम केके सिंह ने कहा कि मामला गंभीर है, विकलांग बालक के साथ इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है, इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।