जोखिम लेने को तैयार नहीं
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी: बीते साल आपदा की भेंट चढ़े यात्रा सीजन से बड़ा नुकसान झेल चुके व्यापारी यमुनोत्री में इस बार निवेश के जोखिम से पीछे हट सकते हैं। लिहाजा गंगोत्री व यमुनोत्री धामों में यात्रा सीजन के दौरान सजने वाली दुकानों में कमी आ सकती है। इससे तीर्थयात्रियों को खाने-पीने से लेकर जरूरी सामान की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। घाटा झेल चुके व्यवसायियों का कहना है कि यदि मंदिर समिति ने राहत दी तो ही वह बोली में शामिल होंगे।
यमुनोत्री धाम में दो मई से यात्रा शुरू हो जाएगी। इससे पहले यमुनोत्री मंदिर समिति मंदिर परिसर में लगने वाली 20 दुकानों के लिए बोली लगाएगी। अमूमन यमुनोत्री धाम में यात्रा सीजन के दौरान एक दुकान के लिए तीन से चार लाख रुपये समिति को देने पड़ते हैं। अस्थाई दुकान के लिए यह निवेश दुकान लगाने वाले लोगों के लिए घाटे का सौदा नहीं रहता। धाम में उमड़ने वाले लाखों तीर्थ यात्रियों की भीड़ से छह महीने के सीजन में दुकान लगाने वाले सालभर गुजारा करने लायक रुपया कमा देते है, लेकिन बीता सीजन आपदा के कारण बेहद खराब रहा। छह महीने चलने वाला यात्रा सीजन महीने भर ही चल सका। लिहाजा जिन दुकानदारों ने बड़ा निवेश कर दुकानें लगाई थी, उन्हें भारी नुकसान सहना पड़ा। इस बार यमुनोत्री मंदिर समिति नए सिरे से दुकानों की बोली लगवाएगी। इसके लिए दुकान लगाने के इच्छुक लोगों को नए सिरे से निवेश करना होगा। ऐसे में बीते साल नुकसान खाए स्थानीय व्यवसायियों के लिए दोबारा जोखिम लेना मुश्किल हो सकता है। यमुनोत्री में हर साल दुकान लगाने वाले बाडागड्डी के रामचंद्र महर बताते हैं कि गत वर्ष तीन लाख रुपये का निवेश कर दुकान ली थी, लेकिन बमुश्किल एक लाख रुपये की भी कमाई नहीं हुई। दो लाख का कर्ज अभी भी सिर पर है। उनका कहना है कि यदि मंदिर समिति पुराने व्यवसायियों को रियायत देगी तभी वह दुकान लगाएंगे। गोरसाली गांव के राजेश व रमेश का भी यही कहना है।
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समिति का प्रयास रहेगा कि आपदा से नुकसान में रहे लोगों को वरीयता दी जाय। समिति जल्द इस मसले पर विचार करेगी। फिलहाल समिति प्रक्रिया के तहत ही दुकानों का वितरण करेगी।
खिलानंद उनियाल, सचिव यमुनोत्री मंदिर समिति।