सिडकुल एसएसबी मुख्यालय तक मिले बाघ के निशान
जागरण संवाददाता, सितारगंज: तुर्कातिसौर में ग्रामीण को झपटकर मारने वाले बाघ के पंजों के
जागरण संवाददाता, सितारगंज: तुर्कातिसौर में ग्रामीण को झपटकर मारने वाले बाघ के पंजों के निशान अब सिडकुल स्थित एसएसबी मुख्यालय के पास देखे गए है। जहां पदचिह्नों के निशान मिले है उसके पास सिद्धा गब्र्यांग, उकरौली, लक्ष्मीझाला आदि गांव बसे हुए है। वन विभाग का मानना है कि बाघ जंगल की दिशा में बढ़ रहा है। लेकिन तुर्कातिसौर घटनास्थल वाले गन्ने के खेत में निवाले की तलाश में बाघ के फिर लौटने की संभावना है। क्योंकि इसी खेत में वह शिकार कर कई दिनों तक विभाग की नजरों से बचा रहा। इसलिए विभाग गन्ने का खेत कटवाने में प्रशासन से सहयोग मांग रहा है।
तुर्कातिसौर गांव में बाघ ने 11 नवंबर को गन्ने के खेत में ग्रामीण को मार डाला था। जिसके बाद बाघ कई दिनों तक गन्ने के खेत में ही छिपा रहा। गन्ने के खेत में बाघ को लगातार शिकार भी मिलता रहा। इस वजह से वन विभाग बाघ के वापस लौटने का खतरा नही उठाना चाहता है। इसलिए विभागीय अधिकारी घटना स्थल के आस-पास खड़े गन्ने को कटवाने के लिए प्रशासन की मदद लेनी की तैयारी में जुटे है। खेत स्वामी से भी वार्ता चल रही है। गुरुवार को वन विभाग के अधिकारी बाघ के पंजों के निशान का पीछा करते हुए कैलास नदी के पार बसे गांव तक पहुंचे थे। शुक्रवार को वनाधिकारियों की टीम ने उसके पंजों के निशान सिडकुल स्थित एसएसबी मुख्यालय तक चिह्नित किए। शाम होने की वजह से विभागीय अधिकारी आगे तक ट्रेक नही कर सके। जिस जगह पर एसएसबी मुख्यालय उसके बगल में कैलाश नदी बहती है। साथ ही नजदीक में ही सिद्धा गब्र्यांग, उकरौली, साधुनगर आदि गांव पड़ते है। साथ ही नदी की दूसरी तरफ रंसाली का घना जंगल भी है। लेकिन बाघ के पंजों के निशान दिखने के बाद आस-पास के गांव में दहशत बनी हुई है। वन विभाग के एसडीओ प्रकाश चंद आर्य ने बताया कि जिस गन्ने के खेत को बाघ ने ठिकाना बनाया था। उसे कई दिनों तक उस खेत में शिकार मिला था। हालांकि उसके वापस लौटने की संभावना कम है फिर भी प्रशासन से गन्ने को कटवाने में सहयोग मांगा जा रहा है।