कागजी इंतजाम, आपदा का इंतजार
राजू मिताड़ी, खटीमा : आपदा से निपटने के लिए मॉक ड्रिल से लेकर तमाम तैयारियां की जाती हैं, लेकिन जम
राजू मिताड़ी, खटीमा :
आपदा से निपटने के लिए मॉक ड्रिल से लेकर तमाम तैयारियां की जाती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सीमांत के कुछ गांव ऐसे हैं जो आसमान गरजते ही सिहर उठते हैं। 26 गांव के वा¨शदों के ऊपर हर साल बारिश भारी मुसीबत बनकर टूट पड़ती है। बाढ़ से बचने के लिए अपने आशियाने तक छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं। अफसर और जनप्रतिनिधि हर बार बरसात से पूर्व बैठक कर कागजी इंतजाम तो करते हैं, लेकिन सारे इंतजाम कागजों में कैद होकर रह जाते हैं और फिर इंतजार रहता है आपदा का। इसे प्रशासनिक अधिकारियों की काहिली कहें या इच्छाशक्ति की कमी। आज तक इस समस्या से निजात दिलाने को ठोस योजना को धरातल पर उतार नहीं सके। देहवा व कामन नदी की पी¨चग व ठोकरें बनाने के लिए 40 करोड़ के प्रस्ताव शासन में पिछले दो साल से लंबित पड़े हुए हैं। पिछले छह वर्षो के दौरान आई बाढ़ ने न सिर्फ बारह जिंदगियां लील ली वरन अपार हानि भी पहुंचाई है। प्रशासन ने इस बार भी इन गांवों को बाढ़ से खतरे में रखा हुआ है।
मानसून नजदीक आते ही क्षेत्र के 26 गांवों के ग्रामीणों के माथे पर ¨चता की लकीरें ¨खच जाती हैं। यह वहीं गांव हैं, जहां प्रतिवर्ष मानसून सत्र में बाढ़ का कहर बरपाती है। ग्रामीण बाढ़ की विभीषिका हर साल झेलते आ रहे हैं। ग्रामीणों की सैकड़ों एकड़ भूमि नदी में समा गई हैं। नदी के कहर से बचाव के लिए इस बार भी शासन-प्रशासन के स्तर पर कोई ठोस इंतजाम नहीं दिख रहे हैं। बहरहाल आपदा से निपटने के लिए प्रशासन ने अपनी तैयारी पूरी करने का दावा किया है।
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इन गांव को है बाढ़ से खतरा
इस बार सिसैया, भगचुरी, दाह, ढाकी, सुनपहर, मजगमी, गांगी, दियां, जंगलजोगीठेर गांव को अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। भूड़ियादेशी, प्रतापपुर, झनकट, बानूसा, पुरनापुर, नौसर, चंदेली, सड़ासड़िया, जादोपुर, रतनपुर, मोहम्मदपुर, बिसौटा, उल्धंन, वनमहोलिया, दमगढ़ा, नगला तराई, खाली महुंवट गांव को संवेदनशील में रखा गया है।
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नहीं उतरी धरातल में योजनाएं
सिचांई विभाग ने मेहरबान नगर, मोहम्मपुर, मजगमी, सुनपहर में देवहा नदी में ठोकरें बनाने के लिए लगभग 24 करोड़ रुपये का प्रस्ताव गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग पटना भेजा गया है। इस प्रस्ताव को डेढ़ साल से अधिक हो गया है। धन आवंटन नहीं हो सका है। दियां, गांगी, गिधौर आदि गांव को कामन नदी के प्रकोप से बचाने के लिए ठोंकरे व पि¨चग को लगभग 15 करोड़ का प्रस्ताव दो साल से उत्तराखंड शासन में लंबित है।
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इस बार विधायक ने मांगे सुझाव
बाढ़ आपदा को लेकर एक माह पूर्व बैठक में विधायक पुष्कर ¨सह धामी ने अधिकारियों के साथ बैठक की थी। जिसमें ¨सचाई विभाग व लोनिवि के अधिकारियों से प्रस्तावों के प्रगति की जानकारी पूछी लेकिन अधिकारी बगलें झांकने लगे। जिस पर उन्होंने ¨सचाई विभाग से क्षेत्र की नदियों की स्थिति व बचाव के सुझाव इस बार मांगे हैं।
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आपदा से बचाव व राहत के इंतजाम की पूरे किए गए हैं। हर स्थिति से निपटने के लिए कर्मचारियों को चौकस रहने के निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि 15 जून से बाढ़ चौकियां में ड्यूटी लगा दी गई है, जो चौबीस घंटे हर स्थिति पर नजर रखेंगे। ¨सचाई विभाग को बाढ़ से बचाव के नए प्रस्ताव मांगे गए हैं।
-विजयनाथ शुक्ल, एसडीएम, खटीमा
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देवाह व कामन नदी अधिक भू कटाव कर रही है। सुरक्षा दीवार, ठोकरें बनाने के लिए चालीस करोड़ से अधिक के प्रस्ताव भेजे हैं। जिनकी अभी स्वीकृति नहीं मिली है। जिन्हें डेढ़ वर्ष से अधिक हो गया है। वर्तमान में मजगमी में नदी का रुख सीधा करने का काम किया जा रहा है। जिससे इस बार कुछ राहत जरुर मिलेगी।
- ज्ञानेश उपाध्याय, एसडीओ, ¨सचाई विभाग
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सीमांत में बाढ़ के कहर से लोगों को भारी क्षति पहुंची है। प्रस्ताव डेढ़ साल पहले भेजे गए थे, पिछली कांग्रेस सरकार ने इस समस्या को नजर अंदाज किया था। लेकिन इस बार नए प्रस्ताव मांगें गए हैं जिन्हें शीघ्र पास कराया जाएगा, पुराने प्रस्ताव कहां अटके हैं उन्हें भी देखा जाएगा।
- पुष्कर ¨सह धामी, विधायक, खटीमा