शांतिपुरी में हो चुकी हैं पांच हत्याएं
संवाद सहयोगी, रुद्रपुर : शांतिपुरी में खनन का साम्राज्य राजनैतिक संरक्षण में फल-फूल रहा है। शांतिपुर
संवाद सहयोगी, रुद्रपुर : शांतिपुरी में खनन का साम्राज्य राजनैतिक संरक्षण में फल-फूल रहा है। शांतिपुरी का युवा वर्ग इसे ही आजीविका का मुख्य साधन बना चुका है। मोटी कमाई के बीच शानो-शौकत से वर्चस्व को लेकर कई बार खूनी संघर्ष हुए। जिसके चलते अब तक पांच लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
उत्तराखंड बनने के बाद शांतिपुरी अवैध खनन का बड़ा केंद्र बन गया था। शांतिपुरी में होने वाले अवैध खनन को राजनैतिक संरक्षण हासिल था। पुलिस इसमें कार्रवाई करना भी चाहती तो राजनैतिक दबाव आड़े आ जाते हैं। कागजों का पेट भरने के लिए छापेमारी की तो जाती थी लेकिन अवैध खनन मिलने के बाद भी अधिकारी पट्टों पर विराम नहीं लगा पाते थे। शांतिपुरी में एक समय योगेंद्र चौहान उर्फ योगी का साम्राज्य चलता था। उसके इर्द-गिर्द ही सारा खनन कार्य घूमा करता था। युवा वर्ग भारी संख्या में उसके साथ था। उसके साम्राज्य को समाप्त करने के लिए कई बार हमले भी हुए। खूनी संघर्ष की शुरुआत सबसे पहले 2000 में हरीश रावत की हत्या के साथ हुई थी। फिर विरोधी गुट 2003 में योगेंद्र चौहान की हत्या में सफल हुए। जिसके बाद अवैध खनन का साम्राज्य प्रताप बिष्ट के इर्द-गिर्द घूमने लगा। 11 वर्ष तक प्रताप का साम्राज्य चला लेकिन योगी की हत्या की ¨चगारी दबी थी। जो सुलगकर बाहर निकली तो वह प्रताप की हत्या का कारण बन गई थी। दो वर्ष पूर्व प्रताप बिष्ट की शक्तिफॉर्म में हत्या कर दी गई। पिछले दो वर्ष से शांतिपुरी में खनन के खेल को पूर्व सीएम से जुड़े लोगों को सीधे संरक्षण मिल गया था। जिसके चलते प्रशासन भी इस खेल को रोकने में सफल नहीं हो पाया।
इनसेट ..
इनकी हुई हत्याएं
नाम वर्ष
हरीश रावत 2000
मोहन ¨सह उर्फ मुन्ना 2002
योगेंद्र चौहान उर्फ योगी 2003
रोहित तिवारी 2008
प्रताप बिष्ट 2014
-------------
शौक पूरे करने के लिए चलती थी दबंगई
कल तक तंगहाली में जीने वाले लोग जब इस काले खेल से जुड़े तो उनकी ¨जदगी ही बदल गई। जिनके घर दो जून की रोटी तक खाने के लाले थे, वह पांच सितारा होटलों में खाना खा रहे हैं।