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जाते-जाते खुन्नस निकाल गए डीजीपी

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : डीजीपी बीएस सिद्धू सेवानिवृति से पहले जाते-जाते आइपीएस केवल खुराना पर खु

By Edited By: Published: Sat, 30 Apr 2016 11:38 PM (IST)Updated: Sat, 30 Apr 2016 11:38 PM (IST)
जाते-जाते खुन्नस निकाल गए डीजीपी

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : डीजीपी बीएस सिद्धू सेवानिवृति से पहले जाते-जाते आइपीएस केवल खुराना पर खुन्नस निकाल गए। उनके आदेश पर दिनेशपुर थाने में खुराना के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। मुकदमा दर्ज कराने वाले और कोई नहीं, उनसे लाग-डाट रखने वाले सब इंस्पेक्टर रजत कसाना हैं। मानवाधिकार आयोग को कसाना की ओर से भेजे गए शिकायती पत्र को इस मुकदमे का आधार बनाया गया है। हालांकि इस मामले की जांच के लिए खुराना व कसाना को जवाब दाखिल करने के लिए चार-चार हफ्ते का समय दिया गया है। हड़बड़ी में उठाए गए डीजीपी के इस कदम को शासन ने गंभीरता से लिया है। आइपीएस अधिकारी पर मुकदमा दर्ज कराने से पहले शासन से कोई अनुमति नहीं ली गई, इसके चलते राज्यपाल ने इस मामले की जांच सीबीसीआइडी को सौंपने के आदेश दिए हैं।

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डीजीपी बीएस सिद्धू और आईपीएस केवल खुराना के बीच रही अनबन किसी से छिपी नहीं है। जब खुराना ऊधम¨सह नगर के एसएसपी बने तो पुलिस मुख्यालय के निशाने पर रहे। दूसरी तरफ कसाना से डीजीपी सिद्धू से नजदीकियां भी जगजाहिर रही हैं। थाने में फाय¨रग के एक मामले में जब खुराना ने कसाना को दिनेशपुर से हटाया तो कसाना ने खुराना पर उनका मानसिक उत्पीड़न करने का और दो लाख रुपये की डिमांड किए जाने का आरोप लगाते हुए जीडी में एसएसपी खुराना के खिलाफ तसकरा डाल दिया था। हालांकि इन आरोपों की जांच के लिए डीजीपी ने आईजी अंशुमान को लगाया तो आरोप निराधार पाए गए। इसके बाद कसाना मानवाधिकार आयोग की शरण में गए। आयोग ने जवाब दाखिल करने के लिए दोनों पक्षों को चार-चार हफ्ते का समय दिया। 17 मई को मानवाधिकार आयोग की कोर्ट में इसकी सुनवाई होनी है।

उधर, डीजीपी सिद्धू शुक्रवार को जिले में आए तो खुराना के खिलाफ दिनेशपुर थाने में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे गए। आदेश के बाद खुराना पर शुक्रवार देर रात धारा 406, 407, 409 व आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया। इस मुकदमे में कसाना की कॉल डिटेल निकलवाने का भी खुराना पर आरोप है।

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हमने आदेश का पालन किया है। शुक्रवार को डीजीपी नानकमत्ता आए तो मुकदमा दर्ज करने का लिखित आदेश लेकर आए थे। उन्होंने निर्देश दिया था कि दर्ज मुकदमे की एक प्रति शनिवार को उनकी टेबिल पर होनी चाहिए। एक पुलिसकर्मी को मुकदमा दर्ज होने के बाद कॉपी लेकर दून रवाना कर दिया गया।

- अनंत शंकर ताकवाले, एसएसपी ऊधम¨सहनगर

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मानवाधिकार कोर्ट ने जब चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कह रखा है तो भला बीच में कैसे मुकदमा दर्ज हो सकता है। आरोपों का पत्र अभी तक मुझे क्यों नहीं दिया गया। डीजीपी बताएं कि कितने मामलों में वह खुद लिखित आदेश लेकर एसएसपी के पास पहुंचे हैं और मुकदमे दर्ज कराए हैं।

- केवल खुराना, आईपीएस


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