बाजपुर को बचाने के लिए प्रशासन की कवायद नाकाम
जागरण संवाददाता, बाजपुर : भले ही पिछले वर्ष लेवड़ा नदी ने शहर में कोई कहर नहीं बरपाया, परंतु गत वर्षो
जागरण संवाददाता, बाजपुर : भले ही पिछले वर्ष लेवड़ा नदी ने शहर में कोई कहर नहीं बरपाया, परंतु गत वर्षो में लेवड़ा नदी से बाजपुर शहर व अनेकों ग्रामों को हुई भारी क्षति को देखते हुए प्रशासन ने बीते दो-तीन वर्ष पूर्व बाढ़ से बचाव की जो कवायद की थी, उसमें इजाफा नहीं हो पाया। नतीजतन बुधवार को जब वर्षो बाद पहली बार लेवड़ा नदी रौद्र रूप लेकर गुजरी तो लोग दंग रह गए।
वर्ष 2009 में संयुक्त मजिस्ट्रेट अक्षत गुप्ता ने प्रयास कर चूनाखान नाले से बरसाती पानी के विभाजन को तकनीकी परीक्षण कराने के लिए रुड़की इंजीनिय¨रग कालेज के इंजीनियरों की टीम से सर्वेक्षण करा सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कार्य करने का निर्णय लिया था। जिसमें उनका प्रयास था कि रिपोर्ट आने के बाद शासन से बाजपुर की जनता को चूनाखान नाले से लेवड़ा नदी में आने वाले बरसाती पानी से बचाने के लिए बजट मांगा जाएगा। साथ ही प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) के अंतर्गत भी कार्य करा योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। जिसमें उन्होंने करीब नौ लाख की लागत से शहरी क्षेत्र को प्रभावित करने वाले करीब छह सौ मीटर क्षेत्र की नदी में खुदाई कराई थी और बड़ा परिवर्तन कर पूर्व से तीन गुना ऊंचाई व दो गुना चौड़ाई के तटबंध बनाए गए थे। साथ ही जो तट ज्यादा कमजोर थे उन्हे सीमेंट के कट्टों में बालू-मिट्टी भरकर रोका गया था। उस समय जितना काम हुआ वो भू-कटान न हो इसके लिए सही था, लेकिन नैनीताल-बाजपुर मार्ग पर बने लेवड़ा पुल के संकरा होने की वजह से समस्या यथावत बनी हुई थी। जिसके चलते राजस्व मंत्री के प्रयासों से चार करोड़ 53 लाख की लागत से पुल बनाया गया और उसी के साथ आठ करोड़ की राशि पिचिंग व सफाई को दी गई थी। जिसमें तीन करोड़ से अधिक पीचिंग साढ़े चार करोड़ पुल में खर्च करने के बाद भी रोड व कालोनियों में आने बाले बरसाती पानी को रोकने में सिंचाई विभाग तथा लोक निर्माण विभाग विफल रहा है ।