बनने से पहले ही उजड़ गई व्यवस्था
रुद्रपुर : दो वर्ष की लंबी प्रतीक्षा के बाद रुद्रपुर को तहसील तो मिल गई, मगर यहां की व्यवस्था बनने स
रुद्रपुर : दो वर्ष की लंबी प्रतीक्षा के बाद रुद्रपुर को तहसील तो मिल गई, मगर यहां की व्यवस्था बनने से पहले ही उजड़ गई। यहां न स्थायी तहसीलदार हैं, और न ही कोई पटवारी। प्रमाण पत्र बनवाने को आ रहे लोग हर रोज चक्कर काट कर लौट जा रहे हैं।
किच्छा व गदरपुर के कुल 43 गांवों को अलग कर बीती 17 नवंबर को रुद्रपुर तहसील ने अपना काम शुरू कर दिया था। बीते नौ दिनों में यहां हर दिन 100 से अधिक ग्रामीण अपने प्रमाण पत्रों को बनवाने की उम्मीद में पहुंच रहे हैं। इनमें से जाति, स्थायी व आय प्रमाण पत्र के लिए जनाधार केंद्र में आवेदन तो जमा हो जा रहा है। मगर उनके प्रमाण पत्रों पर रिपोर्ट लगाने के लिए न तो यहां अभी पटवारी ही उपलब्ध हैं और नहीं तहसीलदार, इसके कारण ग्रामीणों को महज साहब के हस्ताक्षर कराने के लिए कई बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इतना ही नहीं यहां अभी तक इस तहसील के ग्रामों का राजस्व क्षेत्र तहसील के नाम दर्ज न हो पाने से खतौनी भी नहीं निकल पा रही है। छतरपुर के रामधारी, ललिता, संजय नगर के विमल मंडल, सीर गोटिया के नन्हे खान, खेड़ा की अनवरी ने बताया कि जबसे नई तहसील बनी है वे अपने प्रमाण पत्रों पर पटवारी की रिपोर्ट लगवाने को कई बार चक्कर लगा चुके हैं मगर साहब के दीदार आज तक नहीं हुए हैं। उनका कहना था कि जब तहसील शुरू करने से पहले यहां कर्मियों व अधिकारियों की नियुक्ति करनी चाहिए थी।
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रुद्रपुर तहसीलदार का पद सृजित तो हो चुका है मगर नियुक्ति नहीं हुई है। यहां कर्मियों की नई नियुक्ति तक किच्छा के राजस्व कर्मियों की मदद से जनता की हर संभव समस्या को दूर किया जाएगा।
-- विजय जोगदंडे, एसडीएम रुद्रपुर