शहर की हवा में घुल गया जहर
रुद्रपुर : पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कागजी कार्रवाई और अन्य संगठनों की जागरुकता की अपीलें आ
रुद्रपुर : पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कागजी कार्रवाई और अन्य संगठनों की जागरुकता की अपीलें आखिरकार पटाखों के धमाकों में गुम हो ही गईं। खुशियों की रोशनी में ऐसी आतिशबाजी की गई कि शहर की शुद्ध हवा में जहर घुल गया। कानफोड़ पटाखों से वायु में 450 तो ध्वनि में 21 डेसीबल बढ़ गया।
दीपावली के दिन गुरुवार को सायं होते ही आतिशबाजी शुरू हो गई और यह देर रात तक चलती रही। धमाकों की धूम और मौज-मस्ती में सभी लोग यह भूल चुके थे कि इसका दुष्प्रभाव भी उन्हीं लोगों को झेलना पड़ेगा। इसी अनदेखी का परिणाम रहा कि ध्वनि और वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ गया। दिवाली के दिन आतिशबाजी से आवासीय क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण 76.9 डेसीबल तक पहुंच गया, जबकि सामान्य तौर पर दिन में सुबह छह से 10 बजे तक 55 डेसीबल और रात में 55-56 डेसीबल तक होना चाहिए। इसी प्रकार सामान्य तौर पर 100 आरएसपीएम होना चाहिए, जबकि 550 आरएसपीएम हो गया। पिछले साल 280 आरएसपीएम पाया गया था। इस प्रकार वायु प्रदूषण बढ़ा है। यह भले हमें सामान्य लग रहा हो, लेकिन सांस के जरिये शरीर में जा रहा यह धुआं काफी खतरनाक हो सकता है। चिकित्सकों का कहना है कि यह बहुत ही खतरनाक आंकड़ा है, इसका आधा डेसीबल भी अगर होता तो भी सही नहीं होता है। गत वर्ष तो जांच करने वाली मशीन ही नहीं थी।
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ध्वनि प्रदूषण करीब 76.9 डेसीबल रहा, जबकि वायु में 550 आरएसपीएम रहा। पिछले साल ध्वनि प्रदूषण जांच के लिए मशीन नहीं थी, इसलिए जांच नहीं हो पाई थी। ध्वनि व वायु प्रदूषण कितना रहा, इसकी जांच की जा रही है और एक दिन में सही रिपोर्ट मिल जाएगी।
-- एसपी सिंह, क्षेत्रीय प्रबंधक, पीसीबी, काशीपुर