मलेथा के साथ 40 गांवों ने भरी हुंकार
संवाद सूत्र, कीर्तिनगर : मुख्यमंत्री हरीश रावत के आश्वासन के बावजूद मलेथा में स्टोन क्रशर का मामला गरमाता जा रहा है। मंगलवार को 40 गांवों की महापंचायत में तय किया गया कि जब तक सीएम लिखित में नहीं देंगे तब तक ग्रामीण शांत नहीं बैठने वाले। इस दौरान आंदोलन की रणनीति पर चर्चा की गई। इसके तहत 25 सितंबर से क्रमिक उपवास और दो अक्टूबर से बेमियादी उपवास शुरू किया जाएगा।
गढ़वाल के प्रख्यात वीर माधो सिंह भंडारी की भूमि मलेथा इन दिनों अशांत है। कृषि के लिए सबसे बेहतरीन इस भूमि पर इस वक्त तीन स्टोन क्रशर संचालित किए जा रहे हैं, जबकि दो और लगाने की तैयारी है। इसकी वजह से आबो हवा के साथ ही अन्य प्रभावों को देखते हुए ग्रामीण क्रशर बंद करने की मांग कर रहे हैं।
मंगलवार को आयोजित महापंचायत में ग्रामीणों के साथ ही पर्यावरणविद् भी मौजूद थे। इस मौके पर आंदोलन की रणनीति तय की गई। फैसला किया गया कि आंदोलन के लिए ग्रामीणों की टीम बनाई जाएंगी, जिसमें 11-11 सदस्य होंगे। ये सभी बारी-बारी से क्रमिक उपवास पर बैठेंगे। इसके बाद गांधी जयंती से बेमियादी उपवास शुरू किया जाएगा।
गढ़वाल विश्वविद्यालय के शोध संस्थान से आए विशेषज्ञ डा. अरविंद दरमोड़ा ने कहा कि अगर पांच स्टोन क्रशर मलेथा में चलेंगे तो यहां तीन साल में भूगर्भीय जल न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाएगा। पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ेगा। जो चारा पत्ती पशु खाएंगे उनके दूध में भी हानिकारक तत्व होंगे।
आंदोलन के समर्थन में पहुंचे पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट ने मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद आंदोलनकारी रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि वह स्टोन क्रशर को बंद करने की घोषणा पर अमल करेंगे। महापंचायत में भाजयुमो के राष्ट्रीय सचिव विनोद कंडारी, श्रीनगर के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष श्रीनगर कृष्णानंद मैठाणी, पूर्व प्रमुख वियजंत निजवाला, ब्लॉक प्रमुख अनीता निजवाला, ग्राम प्रधान मलेथा शूरवीर बिष्ट, छात्रसंघ अध्यक्ष दिव्यांशु बहुगुणा भी मौजूद थे।
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काटे गए हैं सैंकड़ों पेड़
आंदोलनकारी ग्रामीण सत्यनारायण सेमवाल ने कहा कि स्टोन क्रशर प्लांट लगाने के लिए संचालकों ने दो सौ से ज्यादा खैर के पेड़ पिछले दिनों काट दिए हैं। इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। इससे पूरे पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है।
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नहीं आया कोई अधिकारी
धरना स्थल पर मंगलवार को कोई भी अधिकारी नहीं आया। पूर्व मंत्री दिवाकर भट्ट ने आरोप लगाया कि शिक्षा मंत्री और स्थानीय विधायक मंत्री प्रसाद नैथानी ने ंिहंसरियाखाल में जनता दरबार का आयोजन जानबूझकर किया ताकि ग्रामीण आंदोलन में शामिल न हो सकें। इस कारण महापंचायत के दौरान कोई भी अधिकारी नहीं आया।