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मत्स्य आखेट को न्यूनतम शुल्क पर लाइसेंस

संवाद सहयोगी, नई टिहरी : झील से जुड़ने वाली लघु जल धाराओं के आस-पास के स्थानीय लोगों को मत्स्य एंग्लि

By Edited By: Published: Wed, 27 Apr 2016 08:30 PM (IST)Updated: Wed, 27 Apr 2016 08:30 PM (IST)

संवाद सहयोगी, नई टिहरी : झील से जुड़ने वाली लघु जल धाराओं के आस-पास के स्थानीय लोगों को मत्स्य एंग्लिंग के लिए लाइसेंस न्यूनतम शुल्क पर निर्गत किए जाएंगे। यह बात अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह ने जिला कार्यालय सभागार में आयोजित मत्स्य आखेट संबंधी कार्ययोजना की बैठक के दौरान कही।

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उन्होंने स्पष्ट किया कि टिहरी झील में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए जन सहभागिता के माध्यम से ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें मत्स्य आखेट को भी साहसिक पर्यटन से जोड़ा जाएगा। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि यहां के गांवों से जुड़ी स्वयंसेवी संस्थाओं जिनमें युवक, महिला मंगल दल, स्वयं सहायता समूह को प्राथमिकता के आधार पर इस येाजना से जोड़ा जाएगा। इसके लिए पर्यटन विभाग से समन्वय स्थापित कर कार्ययोजना तैयार की जाएगी जिससे यहां के स्थानीय लोगों की आय से स्रोत में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि टिहरी झील से जुड़ने वाली 11 लघु जलधाराएं जो दो किमी क्षेत्रफल में आती हैं, उन्हें महाशीर मछली उत्पादन एवं संचय के लिए चयनित किया गया है ताकि महाशीर के उत्पादन एवं संरक्षण को बढ़ाकर वैज्ञानिक तरीके से दोहन कर रोजगार से जोड़ा जाएगा। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि मत्स्य विकास विभाग की ओर से बनाई गई योजनाओं के तहत टिहरी झील के आस-पास के लोगों को 240 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। बैठक के दौरान अपर मुख्य सचिव ने मत्स्य विभाग को कोटेश्वर हेचरी के विकास एवं सुधारीकरण के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए ताकि मत्स्य बीजों के संरक्षण में सुविधा हो सके। इसके लिए अपर मुख्य सचिव ने दस लाख की धनराशि का प्रस्ताव शासन को भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ईको टूरिस्ट की दृष्टि से तीन प्रकार के पर्यटक झील से जुड़ेंगे जिनमें स्थानीय, भारतीय व विदेश पर्यटक शामिल होंगे। उन्होंने मत्स्य विभाग को बोट ठीक करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर जिलाधिकारी ज्योति नीरज खैरवाल ने कहा कि नावों के माध्यम से मत्स्य आखेट करने वाले वाले पर्यटकों को लाइफ जैकेट देने के साथ ही उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी। मत्स्य विकास विभाग के उप निदेशक नियोजन एचके पुरोहित ने कार्ययोजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी, साथ ही झील के आस-पास की जलधाराओं से जुड़े गांवों के जन प्रतिनिधियों ने कहा कि उनसे मत्स्य आखेट के लिए न्यूनतम शुल्क लिया जाए। इस अवसर पर सहायक निदेशक मत्स्य अल्पना हल्दिया, एचएनबीजीयू के प्रो. जेबी पंत, पंतनगर परिसर रानीचौरी के प्रोफेसर एपी शर्मा, सहायक प्रो. आशुतोष मिश्रा आदि मौजूद थे।


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