चीड़ के पेड़ों का वन विभाग करेगा सफाया
जागरण संवाददाता, नई टिहरी: पहाड़ में चीड़ का पेड़ फायर सीजन में आग में घी का काम करता है। चीड़ की पत्ती
जागरण संवाददाता, नई टिहरी: पहाड़ में चीड़ का पेड़ फायर सीजन में आग में घी का काम करता है। चीड़ की पत्ती पीरूल सूखी होकर पूरे जंगल में आग को तेजी से फैलाने का काम करती है। साथ ही चीड़ का पेड़ अपने आसपास किसी अन्य वनस्पति को भी पनपने नहीं देता। ऐसे में सरकार ने पहाड़ों में चीड़ का कटान करने की योजना तैयार की है। इसके तहत टिहरी जिले में वन विभाग ने चीड़ के पेड़ों का चिह्नीकरण किया। इसके तहत पांच लाख 158 चीड़ के पेड़ मिश्रित वन को नुकसान पहुंचा रहे हैं और इनके पीरूल से जंगलों को खतरा भी है। रिपोर्ट बनाकर गढ़वाल वन संरक्षक को प्रेषित कर दी गई है। विभाग का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की इंपावर्ड कमेटी की अनुमति मिलने के बाद पेड़ों का कटान किया जाएगा। प्रभागीय वनाधिकारी आरपी मिश्रा ने कहा कि चीड़ के पीरूल से वनों को आग लगने का खतरा बना है। चीड़ के पेड़ों को चिन्हित कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को दी गई है।
बनाया मास्टर कंट्रोल रुम
टिहरी वन प्रभाग ने डाइजर स्थित रेंज कार्यालय में वनाग्नि सुरक्षा के लिए मास्टर कंट्रोल रुम बनाया है। इसमें फोन नंबर 9412076133 और 9410755401 में आग लगने की सूचना दी जा सकती है। रेंज अधिकारी टिहरी एनएल डोभाल ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपने खेतों में आग लगाकर उसे जलता छोड़ रहे हैं, जिससे आग जंगलों में भी लग रही है। ग्रामीणों से अपील है कि वह अपने खेतों में लगी आग को बुझाएं। वन प्रभाग की पांच रेंजों में क्रू स्टेशन बनाए गए हैं, जिनमें फायर वाचर व अन्य कर्मचारी तैनात किए गए हैं।