स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल बचपन भी बेहाल
संवाद सहयोगी, नई टिहरी : बाल चिकित्सकों की कमी बचपन पर भारी पड़ रही है। जिले में स्वीकृत नौ बाल रोग व
संवाद सहयोगी, नई टिहरी : बाल चिकित्सकों की कमी बचपन पर भारी पड़ रही है। जिले में स्वीकृत नौ बाल रोग विशेषज्ञों के पद पर मात्र दो ही कार्यरत हैं व शेष सात रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में नौनिहालों के स्वास्थ्य के प्रति अभिभावकों की चिंता लाजमी है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या सबसे अधिक परेशान कर रही है।
स्वास्थ्य सेवाओं की यदि बात की जाए तो जनपद टिहरी इसमें फिसड्डी है। जिले में बाल विशेषज्ञों के नौ पद सृजित हैं। इनमें जिला अस्पताल व सुमन चिकित्सालय नरेंद्रनगर को छोड़कर किसी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व अन्य अस्पताल में बाल रोग चिकित्सक नहीं हैं। जिला अस्पताल में भी लंबे समय बाद बाल रोग चिकित्सक की तैनाती हुई है। बाल रोग विशेषज्ञ न होने से लोग निजी अस्पतालों पर निर्भर हैं। बच्चों की नियमित जांच न होने से उनमें बचपन से ही कई बीमारियां घर कर जाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति और भी चिंताजनक है। जिले में पूर्व में चलाए गए स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चों की जांच में जो बीमारियां सामने आई थी उनमें सबसे ज्यादा एनीमिया, हृदय रोग, दंत रोग आदि की बीमारी सामने आई थी। जिले में स्वीकृत पदों के सापेक्ष सबसे ज्यादा कमी बाल रोग विशेषज्ञों की ही हैं। जिले में बच्चों के डॉक्टर न होने से आज भी लोग ऋषिकेश व देहरादून के अस्पतालों पर निर्भर हैं।
खाली पड़े बाल रोग विशेषज्ञों के पद
सीएचसी थत्यूड़, सीएचसी बेलेश्वर, कीर्तिनगर, देवप्रयाग, हिंडोलाखाल, पीएचसी शहरी, पीएचसी ग्रामीण।
जिले में चिकित्सकों व अन्य स्टाफ को लेकर शासन को बराबर रिपोर्ट भेजी जाती है। जनवरी माह में चिकित्सकों के साक्षात्कार होने हैं जिससे जिले को भी कुछ चिकित्सक मिल पाएंगे।
डॉ. अर्जुन सिंह सेंगर, मुख्य चिकित्साधिकारी