आपदाओं को रोकने के लिए बनाई जाए ठोस नीति: भट्ट
संवाद सहयोगी, चम्बा: पद्मश्री पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि हिमालयी पर्यावरण व आपदा को ले
संवाद सहयोगी, चम्बा:
पद्मश्री पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि हिमालयी पर्यावरण व आपदा को लेकर जितने भी शोध हो रहे हैं, वह केवल शोध तक सीमित नहीं रहने चाहिए, उसके आधार पर नीतियां बनाकर धरातल पर उसका प्रभाव दिखाई देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्राथमिकता के आधार पर कार्य करना चाहिए।
मंगलवार को स्वामी रामतीर्थ परिसर बादशाहीथौल में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी जियो हैजार्ड का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि मानवीय गतिविधियां बढ़ने और प्रकृति के साथ की जा रही अनावश्यक छेड़छाड़ के कारण आपदाएं आ रही हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पहले भी आपदाएं आई। इसको लेकर समय-समय पर सरकार को आगाह किया जाता रहा है कि वे आपदा से निबटने और खतरों को कम करने की दिशा में ठोस योजना बनाएं लेकिन इस ओर ध्यान नही दिया गया। पदमश्री भट्ट ने कहा कि मेरी पहचान पुरस्कारों से नहीं मेरे काम से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सेमिनार से बाहर धरातल में भी कार्य होना चाहिए यदि आपदाओं को रोकना है तो इसके लिए धरा में अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर उसे हरा-भरा करना होगा।
इस मौके पर भू-वैज्ञानिक डा. आरके भण्डारी ने कहा कि हाल के वर्षो में विभिन्न अवयवों में हलचल और मानवीय दबाव के कारण आपदा जैसी घटनाएं हो रही है और इनकी अनदेखी बड़ी आपदाओं को जन्म दे सकती है, इसलिए समय रहते इस दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए। विभिन्न विश्व विद्यालयों के वैज्ञानिक व शोधार्थी इस सेमिनार में प्रतिभाग कर रहे है। इस मौके पर एसआरटी परिसर के निदेशक डा.आरसी रमोला, डा.पीके चंपावती, डा.आर नागराजन, डा.अरूण कुमार, डा.किरण शर्मा, डा.सपना सेमवाल, डा.एएस बौड़ाई, प्रो0 डीएस कैन्तुरा, डा.एनपी नैथाणी, डा.डीएस बागड़ी, राकेश कोठारी, विकास बेलवाल आदि मौजूद थे।
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