सुरक्षा नदारद, जानलेवा बनी झील
जागरण संवाददाता, नई टिहरी: बयालीस वर्ग किलोमीटर में फै ली टिहरी झील के इर्द-गिर्द सुरक्षा प्रबंध न ह
जागरण संवाददाता, नई टिहरी: बयालीस वर्ग किलोमीटर में फै ली टिहरी झील के इर्द-गिर्द सुरक्षा प्रबंध न होने का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। पिछले पांच साल में यह झील 29 लोगों को निगल चुकी है।
विश्वप्रसिद्ध टिहरी बांध झील जनता के लिए खतरे का सबब बन रही है। 42 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली टिहरी झील के किनारे हर तरफ खतरा ही खतरा है। झील किनारे सुरक्षा उपाय या पैराफीट न होने के कारण झील में वाहनों और लोगों के गिरने का खतरा बना हुआ है। इसी साल जनवरी महीने में सीआईएसएफ जवानों के दो बच्चों की झील में डूबने से मौत हो गई थी। बीती 13 अक्टूबर को ऋषिकेश से आ रही कार के झील में गिरने के कारण दो लोगों की मौत हो गई। इसी साल अब तक आठ लोगों की झील में गिरने से मौत हो चुकी है। नई टिहरी के कोतवाल एश्वर्य पाल ने कहा कि झील किनारे खतरे वाली जगह है। लोगों को इस संबंध में सतर्क किया जाता है। इस साल अभी तक आठ लोगों की मौत झील में डूबने से हो चुकी है।
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'झील के किनारे लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा जाता है। सड़क किनारे पैराफीट बनाने की जिम्मेदारी टीएचडीसी की नहीं है।'
डीएस कुंडू, एजीएम , टीएचडीसी, भागीरथीपुरम, टिहरी गढ़वाल
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झील के किनारे खतरे की जद में गांव
टिहरी झील किनारे तिवाड़ गांव, उप्पू, भल्डयाणा, स्यांसू, छाम, डोबन, सरोट, मणी, कुमराड़ा, लुणेटा, उत्थड़, नंदगांव, पाटा, गडोलिया, पीपलडाली, असेना आदि।
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झील किनारे खतरे वाली रोड
नई टिहरी-घनसाली रोड, नई टिहरी -प्रतापनगर रोड, नई टिहरी- डोबरा रोड, नई टिहरी -कोटेश्वर रोड, नई टिहरी- बागबाटा- भल्डयाणा रोड
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वर्ष-मौत
2010 - 12 लोग
2011 - 1
2012 - 4
2013 - 4
2014 - 8
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