दुग्ध संघ में करोड़ों की मशीनें खा रही धूल
जागरण संवाददाता,नई टिहरी: दुग्ध उत्पादन सहकारी संघ की डेयरी में करोड़ों रुपये की मशीनें धूल खा रही हैं, लेकिन जिम्मेदारों को इसकी परवाह नहीं है। 5000 लीटर की क्षमता वाली डेयरी में मात्र 1600 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। ऐसे में समझा जा सकता है कि दुग्ध विकास को बढ़ावा देने के दावों में कितना दम है।
टिहरी गढ़वाल दुग्ध उत्पादन सहकारी संघ बुरी तरह अव्यवस्था की चपेट में आ गई है। करोड़ों रुपये के घाटे में डूबा संघ इससे उबर भी नहीं पा रहा है। वहीं करोड़ों रुपये की मशीनें भी संघ की डेयरी में धूल खा रही हैं। डेयरी संचालकों से पूछने पर उन्होंने बताया कि जब डेयर में दूध ही नहीं आ रहा तो मशीनें कैसे चलाई जाएं। लेकिन सच्चाई ये है कि रखरखाव और उपयोग न होने के कारण कई मशीनें खराब हो गई है। जैसे दही की पैकिंग करने वाली पांच लाख रुपये की मशीन भी काफी समय से खराब पड़ी है। इस मशीन को सहारनपुर से लाया गया था। इसी तरह कई अन्य मशीनें भी डेयरी में बेकार पड़ी हैं।
कम दूध उत्पादन के कारण कुछ मशीनों का प्रयोग नहीं किया जा रहा। एक दो मशीन खराब हैं।
एके सिंह, प्रबंधक, दुग्ध उत्पादन सहकारी संघ टिहरी गढ़वाल
बेकार पड़ी कुछ मशीनें
मशीन - कीमत
पाश्चराइजर- 40 लाख रुपये लगभग
ब्वायलर - 20 लाख रुपये लगभग
क्रीम टैंक - 10 लाख रुपये लगभग
घी ब्वायलर - दो लाख रुपये लगभग
दही पैकिंग -पांच लाख रुपये लगभग
पिछले महीने हुआ था विवाद
पिछले महीने प्रमुख सचिव की बैठक में भी दुग्ध संघ के मैनेजर और अन्य अधिकारी आपस में भिड़ गए थे। संघ के घाटे में जाने के कारण सभी अधिकारियों की उपस्थिति में यह विवाद हुआ।