सिस्टम की भूल, भुगत रहे ग्रामीण
संवाद सूत्र, घनसाली: विकासखंड भिलंगना की ग्राम पंचायत मांदरा में सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण पंचायत का गठन नहीं हो सका है। कारण, गांव में एक भी व्यक्ति अनुसूचित जाति का नहीं है, फिर भी प्रधान का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया।
गांव में एक भी व्यक्ति अनुसूचित जाति का न होने के बावजूद भी 58 अनु जाति के लोगों का गांव में होना दर्शा कर अनु जाति के लिए प्रधान पद आरक्षित कर दिया है जिससे गांव में ग्राम पंचायत का गठन नहीं हो सका है। ऐसे में गांव का कार्य प्रभावित तो हो ही रहा है, साथ ही त्रिस्तरीय पंचायत का लोगों को कोई लाभ नहीं मिल पाया है। भिलंगना प्रखंड की पट्टी बासर की ग्राम पंचायत मांदरा को वर्ष 1996 में केपार्स ग्राम पंचायत से पृथक कर अलग मांदरा ग्राम पंचायत बनाई गई थी। उस समय गांव की आबादी 315 थी जो अब बढ़कर 408 हो गई है। तब से लेकर आज तक एक भी व्यक्ति गांव में अनुसूचित जाति का नहीं है, लेकिन वर्ष 2011 में पंचायतों के सर्वे में दूसरी ग्राम पंचायत केपार्स के तैला तोक के 58 अनुसूचित जाति की जनसंख्या को मांदरा में जोड़ दिया है जिससे गांव में पंचायत रोस्टर तथा चक्रानुक्रम के तहत ग्राम प्रधान का पद इस चुनाव में अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया और गांव में एक भी व्यक्ति अनु. जाति का न होने के कारण प्रधान का चुनाव नहीं हो सका है। गांव के निवर्तमान प्रधान मोहनलाल भट्ट का कहना है कि गांव में एक भी व्यक्ति अनुसूचित जाति का नहीं है फिर भी ग्राम प्रधान का पद अनु जाति महिला के लिए आरक्षित किया गया है। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत खंड विकास अधिकारी से लेकर सीडीओ तक की गई है, लेकिन कोई कार्यवाही अभी तक इस दिशा में नहीं हो पाया है। ग्रामीणों ने शीघ्र ग्राम पंचायत को सामान्य करने के साथ ही शीघ्र प्रधान के चुनाव करवाए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि इसमें लापरवाही की गई तो ग्रामीण आंदोलन को बाध्य होंगे।
- इस बारे में उप जिलाधिकारी को अवगत कराया गया है, जांच के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।
बीपी रिगोंडी , खंड विकास अधिकारी घनसाली।