आपदा में बिछुड़ी मासूम से दुष्कर्म
जागरण संवाददाता, नई टिहरी:
कुदरत के कहर के बाद अपनों से बिछुड़ी मजबूर मासूम हैवानों की हवस का शिकार भी बनी। मेडिकल रिपोर्ट में उसके साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। बच्ची के बयानों के आधार पर चंबा थाने की पुलिस ने कोटी कालोनी निवासी एक कबाड़ी के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया है। आरोपी अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है, उसकी तलाश में छापे मारे जा रहे हैं।
पिछले साल केदारघाटी में आई आपदा में अपनों से बिछड़ी दस वर्षीय मासूम मंगलवार शाम को टिहरी जिले के चंबा शहर में एक होटल के बाहर बैठी मिली। बच्ची को अकेला देख वहीं के होटल व्यवसायी दिनेश कृषाली ने चंबा पुलिस को इत्तिला दी। बच्ची से पूरा किस्सा समझने के बाद पुलिस ने उसे बाल संरक्षण समिति के पदाधिकारियों के सुपुर्द कर दिया। साथ ही उसकी बताई बातों की तस्दीक कराने का प्रयास शुरू कर दिया। हालांकि अभी तक पुलिस को इसमें कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली, लेकिन बच्ची की बरामदगी के बाद से नई टिहरी से लेकर रुद्रप्रयाग तक जिला प्रशासन और पुलिस अफसरों ने फाइलें पलटना शुरू कर दिया है। दोपहर रुद्रप्रयाग के एसपी बीजे सिंह ने टिहरी पुलिस से संपर्क करके बच्ची के बारे में जरूरी जानकारी भी मांगी। बच्ची अपने माता-पिता का जो नाम बता रही है, अभी तक ऐसा नाम प्रशासन के पास उपलब्ध सूची में नहीं मिल पाया। उन्होंने बताया कि बच्ची को रुद्रप्रयाग लाकर गुमशुदा लोगों की फोटो दिखाई जाएगी, साथ ही केदारघाटी के स्कूलों में ले जाकर वहां के टीचरों से भी उसके बारे में जानकारी ली जाएगी।
इस बीच, बुधवार को चंबा पुलिस और बाल संरक्षण समिति के पदाधिकारियों ने जिला चिकित्सालय में मासूम का मेडिकल कराया। देर रात चंबा थानाध्यक्ष सुखपाल सिंह ने बताया कि मेडिकल में बच्ची के साथ दुष्कर्म करने की पुष्टि हुई है। पूछताछ में बच्ची ने बताया कि कोटी कालोनी के एक कबाड़ी ने उसके साथ दुष्कर्म किया। इस आधार पर पुलिस ने मणिराम नामक कबाड़ी के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कर लिया है, उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे हैं। बता दें कि शाम को टिहरी के सीएमओ ने प्रांरभिक रिपोर्ट सामान्य आने की बात कही थी। पुलिस के अनुसार बच्ची को देहरादून बाल संरक्षण गृह भेजने की तैयारी की जा रही है।
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'बच्ची अपने परिजनों के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं बता पा रही है। फिर भी रुद्रप्रयाग में उसकी दी जानकारी के आधार पर पता करवाया जा रहा है। कबाड़ी के पास बच्ची कैसे आई, इसकी भी जांच कराई जा रही है। '
मुख्तार मोहसिन, पुलिस अधीक्षक, टिहरी गढ़वाल
'बच्ची ने अपना पता केदारनाथ बताया है। उसने वहां के स्कूल का नाम भी लिया है। इसकी पुष्टि कराने के साथ ही उसके परिजनों को खोजने का काम भी किया जाएगा।'
शगुफ्ता परवीन, सचिव बाल कल्याण समिति नई टिहरी।
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काली सुबह को याद कर सिहर उठती है मासूम
केदारघाटी की आपदा में अपनों से बिछुड़ी दस वर्षीय बच्ची चंबा में मिली
- चार महीने से कबाड़ी के परिवार के साथ रह रही थी
- इससे पहले मेरठ में रही एक परिवार के साथ
- घर के पते के बारे में ठीक से ज्यादा कुछ नहीं उसे पता
जागरण संवाददाता, नई टिहरी: पिछले साल 15 जून को केदारघाटी में आई आपदा में अपनों से बिछुड़ी दस वर्षीय बच्ची उस दिन को याद कर अब भी सिहर उठती है। माता-पिता और भाई-बहन कहां हैं, उसे कुछ नहीं मालूम। याद है तो सिर्फ इतना कि उसका परिवार केदारनाथ में रहता था और आपदा वाले दिन वह खच्चर चुगाने जंगल गई हुई थी। जोरों की बारिश के बचती-बचाती वह गांव पहुंची तो उनके मकान की जगह बड़े-बड़े पत्थर (बोल्डर) बिखरे मिले। उसके बाद एक फौजी कुछ लोगों के साथ उसे हेलीकाप्टर (वह इसे जहाज बोल रही है) से हरिद्वार ले आया।
पुलिस को बच्ची ने जो कहानी बताई, उस पर यकीन करें तो वह पिछले साल केदारनाथ में आई आपदा में अपने परिवार से बिछुड़ गई थी। बकौल, बच्ची उनका परिवार केदारघाटी में रहता था। उस दिन वह जंगल में खच्चर चुगाने गई थी। तभी जोर की बारिश होने लगी, किसी तरह बचते-बचाते वह घर पहुंची, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। पिता, मां, भाई और बहन कहीं नहीं दिखे। जहां पर उनका मकान था, वहां बड़े-बड़े पत्थर जमा थे। मूसलाधार बारिश में वह पैदल ही आगे बढ़ गई। कुछ दूरी पर भगदड़ मची हुई थी, लोग इधर-उधर भाग रहे हैं। तभी एक फौजी ने उससे नाम पूछा और उसके बाद कुछ अन्य लोगों के साथ उसे जहाज में बैठा दिया। हरिद्वार में सभी लोग उतर गए।
मासूम बताती है कि हरिद्वार पहुंचने के बाद काफी देर तक उसे कुछ समझ नहीं आया। बाद में वह एक गाड़ी में बैठ गई, उतरने पर पता चला कि वह जगह मेरठ है। मेरठ में एक परिवार ने उसे अपने साथ रखा। उसका कहना है कि वे लोग उसे मारते-पीटते थे। इस बीच, एक दिन परिवार के लोगों ने ही उसे हरिद्वार की गाड़ी में बैठाया और वह फिर से हरिद्वार आ गई। यहां उसे एक कबाड़ी मिला, उसने अपना नाम अजय बताया। वह करीब चार महीने पहले उसे टिहरी कोटी कॉलोनी अपने परिवार के पास ले आया। वहां उसे अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए कुछ दिन पहले वह भागकर चंबा आ गई।
बच्ची अपने घर का पता ठीक से नहीं बता पा रही है, उसका कहना है कि गिरीराज नाम के स्कूल में उसके भाई-बहन पढ़ते थे। उसके पिता टमाटर की खेती करते थे, उनके खच्चर भी थे। पुलिस के अनुसार बच्ची की बताई बातों पर उसके परिजनों के बारे में सूचनाएं जुटाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इधर, रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने भी मामले की तह तक जाने की कोशिश शुरू कर दी हैं। आपदा में मारे गए और लापता लोगों की सूची में बच्ची द्वारा बताए गए नाम खोजे जा रहे हैं, हालांकि अभी तक इस नाम का उल्लेख किसी सूची में नहीं मिला। काबिलेगौर है कि केदारघाटी की त्रासदी में लापता लोगों में से बड़ी संख्या में ऐसे भी हैं जिनका कहीं कोई रेकार्ड ही नहीं है।
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