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बदलेगा डोबरा चांटी पुल का डिजाइन

By Edited By: Published: Wed, 23 Jul 2014 05:58 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jul 2014 05:58 PM (IST)

जागरण संवाददाता, नई टिहरी: देश का सबसे बड़ा निर्माणाधीन सस्पेंशन डोबरा चांटी पुल एक बार फिर डिजाइन को लेकर चर्चा में है। नौ साल से प्रतापनगर की डेढ़ लाख आबादी की पुल पर चलने की उम्मीद अब तक पूरी नहीं हो सकी हैं। कभी पुल का डिजायन तो कभी अनियमितता और कभी योग्य कंपनी न मिलने के कारण पुल का काम रुकता रहा। अब एक बार फिर से जब पुल बनने की उम्मीद जगी थी तो लोनिवि फिर से पुल का डिजायन बदलने को तैयार है। लोनिवि ने जिन कंपनियों को पुल की लांचिंग के लिए कंसलटेंट बनाया है। उसमें डिजायन सही करने की सेवा भी मांगी गई है।

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टिहरी झील में वर्ष 2006 से निर्माणाधीन डोबरा चांटी पुल अरबों रुपये खर्च होने के बाद भी तैयार नहीं हो पाया है। पुल की शुरुआत से ही कई विवाद सामने आए और पुल निर्माण खटाई में पड़ता रहा। कभी नक्शे को लेकर आपत्ति तो कभी अनियमितताओं को लेकर सवाल खड़े हुए। पुल पर अब तक एक अरब 24 करोड़ दस लाख 71 हजार 849 रुपये खर्च किए जा चुके हैं और झील के आरपार सिर्फ दो खंभे ही खड़े किए जा सके हैं, अब लोनिवि ने फिर से तमाम विवादों के बाद पुल की लांचिंग के लिए विदेशी कंपनियों से आवेदन मांगे थे। इसके बाद पांच कंपनियों ने आवेदन किया। अब पांचों कंपनियां अपने बनाए पुलों की पूरी जानकारी लोनिवि को दे रही है। खास बात ये है कि लोनिवि ने प्रूफ चेकिंग, डिजाइन और सुपरविजन तीन कामों के लिए कंपनियों से सेवाएं मांगी हैं। ऐसे में साफ है कि पुल के डिजायन में फिर से बदलाव किया जाएगा।

आइआइटी के नक्शे पर भी विवाद

डोबरा चांटी पुल का नक्शा आइआइटी रुड़की और आइआइटी खड़गपुर ने भी बनाया, लेकिन इन नक्शों पर भी कई बार आपत्ति उठाई गई। इसके बाद पुल की लांचिंग अभी तक नहीं हो पाई है।

प्रतापनगर को है काला पानी की सजा

डोबरा पुल न बनने के कारण प्रतापनगर ब्लॉक की जनता काला पानी की सजा भुगत रही है। पुल न बनने के कारण प्रतापनगर में स्वास्थ्य , शिक्षा और अन्य सुविधाओं का टोटा बना है।

'विदेशी कपंनियों से पुल की प्रूफ चेकिंग, डिजायन और सुपरविजन की सेवाएं मांगी गई हैं। ऐसे में पुल के डिजायन में बदलाव हो सकता है'

सीसी जोशी, अधीक्षण अभियंता, लोनिवि टिहरी गढ़वाल


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