बुझती लौ में जग रही 'प्रकाश की उम्मीद'
संवाद सहयोगी, चम्बा : गत वर्ष आई आपदा ने नजाने कितने परिवारों को तबाह कर दिया। इस तबाही ने लोगों से उनके अपने, उनका आशियाना और उनकी शिक्षा का जरिया भी छीन लिया। विश्वकर्मापुरम स्थित श्रीदेव सुमन छात्रावास इन्हीं आपदा प्रभावित परिवारों के बच्चों के भविष्य को एक नई दिशा देने में लगा है। जो काम सरकार को करना चाहिए था वह काम यह छात्रावास कर रहा है।
छात्रावास में गत वर्ष केदारघाटी में आई आपदा से प्रभावित परिवारों के बच्चे पढ़ रहे हैं। उनकी पढ़ाई, रहना, खाना, कपड़े सभी छात्रावास की ओर से निशुल्क मुहैया कराए जा रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के संयुक्त प्रयासों से गठित उत्तरांचल दैवीय आपदा पीड़ित सहायता समिति की ओर से 28 अगस्त 2013 को विश्वकर्मापुरम में श्रीदेव सुमन छात्रावास की स्थापना की गई। आपदा प्रभावित बच्चों को कहीं आसरा नहीं मिल रहा था। समिति ने उन्हें ढूंढ कर संवारने का जिम्मा लिया। छात्रावास में इस समय रूद्रप्रयाग, नारायणबगड़, प्रतापनगर व चम्बा के कुल 41 बच्चे पढ़ रहे हैं। कोई कक्षा छह में पढ़ रहा है तो कोई कक्षा 11 में है। छात्रावास में कक्षा एक से 12 तक की पढ़ाई की व्यवस्था है। उन्हें पढ़ाने के अलावा हुनर भी सिखाए जा रहे हैं। यहां बच्चों को खेल, गीत-संगीत की शिक्षा भी दी जा रही है। छात्रावास की जो व्यवस्था व पढ़ाई का तरीका है बच्चे उसमें खूब रूचि ले रहे हैं। छात्रावास के सहयोगी इन्द्रपाल सिंह परमार व डॉ. दिवाकर पैन्यूली ने बताया कि बच्चों को व्यवहारिक शिक्षा, चुनौतियों से निबटना आदि भी सिखाया जाता है। उन्होंने शासन-प्रशासन के रवैये को लेकर नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि मदद तो दूर, किसी ने छात्रावास का निरीक्षण तक नहीं किया।
शुरुआती दौर में दिक्कतें आई। अलग-अलग जगह के बच्चों को परिजनों से दूर एक जगह रखना आसान नहीं था। उन्हें मन से तैयार किया गया। अब बच्चे सही ढंग से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यह जनहित का कार्य है। शासन-प्रशासन को भी इसमें सहयोग करना चाहिए।
चंदन सिंह नकोटी, सचिव, उत्तरांचल दैवीय आपदा पीड़ित सहायता समिति