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निवाला भी छीन ले गई आपदा

By Edited By: Published: Sat, 06 Jul 2013 05:40 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jul 2013 05:41 PM (IST)

मोहन थपलियाल, नैनबाग

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जौनपुर क्षेत्र में प्रकृति ने ऐसा कहर ढाया कि यहां काश्तकारों की करीब 32 हजार नाली सिंचित भूमि बाढ़ में बह गई है। जिन खेतों में धान और नगदी फसलें लहलहाती थी आज वहां पत्थर के अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा। ऐसे में जहां किसानों को नुकसान तो हुआ ही साथ में अब रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया।

बीते जून आई दैवीय आपदा विकासखंड जौनपुर में तबाही लेकर आई। बदरीघाटी व अलगाड़घाटी के 90 फीसद से अधिक परिवार कृषि व पशुपालन पर निर्भर है। जो सिंचित खेतों में धान की फसल के अलावा नगदी फसलों टमाटर, आलू, मटर, गोभी आदि उगाते रहे हैं, जिनमें अधिकांश लोगों की आजीविका इसी पर निर्भर हैं। आपदा ने ऐसी तबाही मचाई कि अगलाड़ व बदरीगाड़ नदी में लगभग 32 हजार नाली सिंचित भूमि बाढ़ की भेंट चढ़ गई। नदियों में छह पुल और दो पुलिया भी बह गई। इसी के साथ 32 परिवारों की गौशाला भी मलबे में दब गई, 27 परिवारों की 163 मवेशी नदी में बह गये।

मुख्य बाजार थत्यूड़ सहित अन्य कस्बों में 16 दुकानें बही। गांव की सैकड़ों पेयजल लाइनें व गूलें क्षतिग्रस्त होने से गांव में पेयजल की किल्लत बनी है। साथ ही क्षेत्र के लगभग हर गांव के पैदल संपर्क मार्ग भी क्षतिग्रस्त होने से गांव में आने जाने से आम लोगों को जान हथेली पर रखकर सफर करना पड़ रहा है।

आपदा प्रभावित महिपाल सिंह रावत, बैजराम, जयवीर सिंह आदि का कहना है कि घाटी में लगभग 32 हजार नाली कृषि भूमि नष्ट होने से कई परिवारों की आजीविका खतरे में पड़ गई हैं। प्रशासन को प्रभावितों की आर्थिक मदद करनी चाहिए।

आपदा से जिन काश्तकारों की कृषि भूमि की क्षति हुई हैं उसके आंकलन के लिए क्षेत्र में टीम भेजी गई हैं। नगदी फसलों को मिला धन 15 अगस्त तक काश्तकारों को मिल जाएगा।

नितेश कुमार झा

जिलाधिकारी

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