पानी के हर खतरे से डर रहे ग्रामीण
रघुभाई जड़धारी, नई टिहरी
टिहरी बांध झील से सटे गांव भूस्खलन के कारण खतरे की जद में हैं। कभी उन्हें झील का पानी डरा रहा हैं, तो कभी आसमान से बरस रहे बादल। झील के किनारे की चट्टानें दरकने से यहां करीब दो दर्जन से अधिक गांवों पर अस्तित्व खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है। लगातार हो रही से जहां लोगों के घरों में मलबा घुस रहा है, वहीं झील का जलस्तर बढ़ने से भी लोगों की आंखों में खौफ नजर आ रहा है।
केदारनाथ में आपदा के कारण हुई तबाही से यहां के ग्रामीण भी चिंतित हैं। कारण झील के पानी का स्तर बढ़ने से भूस्खलन का खतरा बना हुआ हैं। वर्ष 2010 में जब झील का जल स्तर 830 पर पहुंच गया था तब झील से सटे रौंलाकोट, तिवाड़गांव, चिन्यालीसौड़, डोबरा, तल्ला उप्पू, पिराड़ी आदि करीब एक दर्जन गांवों में पानी घुस गया था और दो दर्जन गांव में भू-धंसाव शुरू हो गया था। वर्ष 2011 व 12 में कम बारिश से खतरा टल गया था। इस बार मानसून शुरू से हुई भारी बारिश ने लोगों की सांसे अटका दी हैं। लोग हर रोज भगवान से और बारिश न होने की दुआ मांग रहे हैं।
झील का जल स्तर इस समय आठ सौ के आस-पास हैं। झील के पानी व प्रभावित गांवों की दूरी मात्र तीस या पैंतीस मीटर हैं। डीएचडीसी के मुताबिक जब भारी बारिश होती हैं तो एक घंटे में एक मीटर तक झील का पानी बढ़ जाता हैं।
वर्ष 2010 की आपदा के बाद राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में झील से प्रभावित गावों का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया। सर्वेक्षण में गांवों को खतरा बताते हुए विस्थापन का सुझाव दिया गया। मामला अभी भी केंद्र सरकार के पास लंबित हैं।
खतरे की जद में हैं ये गांव
रौलाकोट, तिवाड़गांव, नंदगांव, डोबरा, तल्ला उप्पू, सौड़ उप्पू, भल्डियाणा, पलास, गडोली,असेना, नकोट, स्यंासू, सरोट, डोबन, पिलखी, बौर, पिपोला, पटांगली, घोंटी, उठड़, लणेठा आदि।
शायद शासन-प्रशासन यहां भी बड़ी तबाही का इंतजार कर रहा हैं। विस्थापन ने होने के कारण ग्रामीण दहशत में हैं।
प्रेमदत्त जुयाल, अध्यक्ष, बांध प्रभावित संघर्ष समिति।
अभी खतरे जैसी कोई बात नही हैं। प्रभावित गावों के विस्थापन की प्रक्रिया चल रही हैं। जलस्तर बढ़ता हैं तो लोगों की सुरक्षा के इंतजाम किए जाएंगे।
आर के तिवारी, अधिशासी अभियंता
पुनर्वास निदेशालय
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर