केदारनाथः यात्रियों के जीवन से खेल रही हेली कंपनियां
केदारनाथ के लिए हेली सेवाओं का संचालन कर रही अधिकांश हेली कंपनियां यात्रियों के जीवन से खिलवाड़ कर रही हैं। यहां कई कंपनियां 80 के दशक के हेलीकॉप्टरों को उड़ा रही हैं।
रुद्रप्रयाग, [जेएनएन]: केदारनाथ के लिए हेली सेवाओं का संचालन कर रही अधिकांश हेली कंपनियां यात्रियों के जीवन से खिलवाड़ कर रही हैं। सूत्रों की मानें तो हेली कंपनियां 80 के दशक के हेलीकॉप्टरों को ही डेंट-पेंट कर यहां उड़ान भरवा रही हैं। ऐसे में 11500 फीट की ऊंचाई पर उड़ने वाले इन हेलीकॉप्टरों पर हर समय खतरा मंडराता रहता है। जबकि, हेली कंपनियां एक ही वर्ष में मालामाल हो जाती हैं।
केदारनाथ धाम के लिए वर्ष 2003 से हवाई सेवाएं संचालित हो रही हैं। वर्तमान में 11 हवाई कंपनियों को सरकार ने उड़ान भरने की अनुमति दी है। इनसे रोजाना दो हजार के आसपास यात्री दर्शनों को पहुंच रहे हैं। खास बात यह है कि वर्तमान में ज्यादा से ज्यादा यात्री हेली सेवाओं से ही केदारनाथ पहुंचना चाहते हैं। बावजूद इसके हेली कंपनियों की लापरवाही समय-समय पर उजागर होती रहती हैं।
वर्ष 2006 में एक हेलीकॉप्टर के पंखे से केदारधाम में एक व्यक्ति का सिर कट गया था। वहं, हेलीकॉप्टरों के उड़ान भरने के बाद दरवाजे आसमान में ही खुलने की शिकायतें समय-समय पर आती रहती हैं। इससे लगभग दो दर्जन यात्री घायल भी हो चुके हैं।
बता दें कि हेली कंपनियों के लिए केदारनाथ की उड़ान काफी फायदे का सौदा है। मात्र आठ मिनट के सफर में ही प्रति यात्री सात से आठ हजार रुपये किराया मिल जाता है। ऐसे में दो-ढाई महीने के सीजन में ही एक-एक कंपनी पांच करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार कर लेती है।
केदारघाटी में तीन हेलीकॉप्टर हो चुके हैं क्रैश
केदारनाथ की ऊंची पहाडिय़ां उड़ानों की दृष्टि से काफी खतरनाक हैं। वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा में रेक्सू के दौरान तीन हेलीकॉप्टर क्रैश हो गए थे। इनमें सेना का एक एमआइ-17 हेलीकॉप्टर भी था। इस हादसों में 22 लोगों की जान गई थी।
की जाएगी जांच
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल के मुताबिक हेली कंपनियों के हेलीकॉप्टर यात्रियों के लिए सुरक्षित हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए उड्डयन मंत्रालय को पत्र लिखा जाएगा। यात्रियों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
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